`पाकिस्तानी-हिंदू प्रवासी आपके अपने लोग, दिवाली गिफ्ट में उन्हें एनओसी देनी चाहिए`: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने पाकिस्तान से आकर देश की राजधानी दिल्ली में रह रहे प्रवासी हिन्दू विस्थापितों को 6 वर्ष बाद भी बिजली कनेक्शन जारी नहीं होने पर सख्त टिप्पणी की है. पीठ ने कहा, सरकार को इन प्रवासियों को दिवाली गिफ्ट के रूप में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देना चाहिए था.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने पाकिस्तान से आकर देश की राजधानी दिल्ली में रह रहे प्रवासी हिन्दू विस्थापितों को 6 वर्ष बाद भी बिजली कनेक्शन जारी नहीं होने पर सख्त टिप्पणी की है. सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पाकिस्तानी हिंदू प्रवासियों को पिछले पांच से छह वर्षों से बिना बिजली के आदर्श नगर क्षेत्र में रह रहें है. सरकार को इन प्रवासियों को दिवाली गिफ्ट के रूप में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देना चाहिए था.
हिंदू प्रवासियों ने बिजली कनेक्शन के लिए दायर की थी याचिका
पाकिस्तान से भारत पहुंचे और मजलिस पार्क मेट्रो स्टेशन के पास आदर्श नगर में रह रहे विस्थापितों की ओर से बिजली उपलब्ध कराने को लेकर जनहित याचिका दायर की गयी थी. हिंदू प्रवासियों की ओर से दायर इसी जनहित याचिका (पीआईएल) पर दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चन्द्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच की सुनवाई कर रही थी.
सुनवाई के दौरान ही प्रवासियों की ओर से अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि ये सभी पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर भारत आए हैं और वे गरीब लोग हैं, जो झुग्गियों के समूह में रहते हैं. उन सभी को आधार कार्ड जारी किए गए हैं और वे भारत सरकार से लंबी अवधि के वीजा(एलटीवी) पर हैं. जनहित याचिका में कहा गया कि लंबे समय बाद भी उन्हे बिजली कनेक्शन नहीं मिले है क्योंकि बिजली विभाग के अधिकारी भूमि के स्वामित्व के प्रमाण की मांग करते है.
एनओसी न होने के कारण नहीं मिल रहा बिजली कनेक्शन
याचिका में कहा गया कि बिजली(उपभोक्ता के अधिकार) नियम, 2020 के नियम 9(1) के तहत स्वामित्व के प्रमाण की आवश्यकता नहीं है और एक व्यक्ति जो मालिक नहीं है, लेकिन उस जगह पर रहने वाला है बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन कर सकते हैं, लेकिन एनओसी नहीं दिए जाने से बिजली कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है.
वहीं दिल्ली में बिजली प्रदान कर रही टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के अधिवक्ताओं ने इस तर्क का विरोध करते हुए कहा कि बिजली कनेक्शन के लिए एनओसी निर्विवाद रूप से आवश्यक है, क्योंकि पर्याप्त बिजली प्रदान करने के लिए कुछ खंभों को खड़ा करने की आवश्यकता होगी. बिजली कंपनी ने कहा कि जिस भूमि पर झुग्गियों की स्थापना की गई है वह भारत सरकार/रक्षा विभाग/डीएमआरसी की है, और वितरण कंपनी भू-स्वामित्व वाली एजेंसी से अनापत्ति प्रमाण पत्र के अभाव में बिजली कनेक्शन प्रदान करने में असमर्थ है.
बिजली कनेक्शन को लेकर केंद्र ने की ये टिपण्णी
केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता अनुराग अहलूवालिया ने पक्ष रखते हुए कहा कि इस मुद्दे पर उच्च अधिकारियों द्वारा प्रयास किए जा रहे है और इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय की आवश्यकता है.
केंद्र के जवाब पर मौखिक टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा कि लंबे समय से प्रवासी बिना बिजली के रह रहें हैं, वे आपके अपने लोग हैं, उन्हें एनओसी का दिवाली का तोहफा देना चाहिए था.
गौरतलब है कि याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था कि प्रवासियों को एनओसी क्यों नहीं जारी की गई. केंद्र सरकार के जवाब पेश करने के लिए समय मांगे पर बेंच ने अब मामले की आगे सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तारीख तय की है.
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