नई दिल्ली. भारत की विपक्षी पार्टियों को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बड़ा झटका लगा है. दरअसल विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में पीएमएलए कानून को खत्म करने के लिए याचिका दायर की थी. जिसे आज सुनवाई करते हुए कोर्ट ने खारिज दिया. विपक्ष ने पीएमएलए कानून को संविधान के खिलाफ बताया था. 


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ED को गिरफ्तार और समन भेजने का अधिकार


देश की सर्वोच्च अदालत ने पीएमएलए कानून पर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, ईडी को गिरफ्तार करने और समन भेजने का अधिकार बिलकुल सही है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए कानून को खत्म करने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया. 


कोर्ट ने कहा मनी लॉन्ड्रिंग है स्वतंत्र अपराध


कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है. उसे मूल अपराध के साथ जोड़ कर ही देखने की दलील खारिज की जा रही है. कोर्ट ने ये भी कहा कि, सेक्शन 5 में आरोपी के अधिकार भी संतुलित किए गए हैं. ऐसा नहीं कि सिर्फ जांच अधिकारी को ही पूरी शक्ति दे दी गई है.


कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सेक्शन 18 वैध बताया साथ ही सेक्शन 19 में हुआ बदलाव भी करार किया है. इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने कहा कि, सेक्शन 24 भी वैध है साथ ही 44 में जोड़ी गई उपधारा भी सही बतायी गई है. दरअसल, दायर याचिका में पीएमएलए के कई प्रावधान कानून के खिलाफ बताए गए थे.


सुप्रीम कोर्ट में पीएमएलए कोनून को गलत तरीके से इस्तेमाल करने की दलील देकर इसे खत्म करने की बात कही गई थी. दलीलों में ये भी कहा गया था कि, गलत तरीके से पैसा कमाने का मुख्य अपराध साबित न होने पर भी पैसे को इधर-उधर भेजने के आरोप में PMLA का मुकदमा चलता रहता है.


सरकार ने अपने पक्ष में दिए ये तर्क


वहीं, सरकार की तरफ से पीएमएलए कानून के पक्ष में तर्क देते हुए कहा गया कि, ईडी की कार्रवाई से बचने के लिए विपक्ष की तरफ से इस प्रकार की याचिकाएं दायर की जा रही हैं. सरकार ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि, ये वहीं कानून है जिसकी मदद से विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे लोगों से अब तक बैंकों के 18 हजार करोड़ रूपए वसूले गए हैं.


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