IIT की भर्ती में आरक्षण नीति का हो पालन, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया ये निर्देश
न्यायालय ने केंद्र, आईआईटी को प्राध्यापकों की भर्ती में आरक्षण नीति पर अमल करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर क्या-क्या कहा, इस रिपोर्ट में पढ़िए..
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के शोध डिग्री पाठ्यक्रमों में दाखिले और प्राध्यापकों की भर्ती में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत निर्धारित आरक्षण नीति का पालन करने का केंद्र सरकार को निर्देश दिया है.
आरक्षण नीति का पालन करने का निर्देश
शीर्ष अदालत एस. एन. पांडेय नामक एक व्यक्ति की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र और आईआईटी को शोध पाठ्यक्रमों में दाखिले और प्राध्यापकों की भर्ती के संबंध में आरक्षण नीति का पालन करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
याचिका में दावा किया गया था कि दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है. यह मामला न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया. न्यायालय को यह अवगत कराया गया कि केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 इस तरह के आरक्षण का प्रावधान करता है और इसे लागू किया जा रहा है.
किन किन लोगों को मिलता है आरक्षण?
प्रतिवादी की ओर से पेश हुए वकील ने कहा है कि अब केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के मद्देनजर आईआईटी सहित सभी केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान किया जाता है. पीठ ने कहा, 'संबंधित प्रतिवादियों को आरक्षण (नीति) का पालन करने और केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत प्रदत्त आरक्षण के अनुरूप कार्य करने का निर्देश दिया जाता है.'
यह अधिनियम अनुसूचित जातियों/जनजातियों, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों के लिए केंद्रीय संस्थानों में शिक्षण पदों के लिए आरक्षण प्रदान करता है.
'नीतियों का पूरी तरह से किया जा रहा उल्लंघन'
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर अपनी याचिका में पांडेय ने शोध कार्य से संबंधित छात्रों के उत्पीड़न की शिकायतों को हल करने के लिए एक तंत्र बनाने तथा मौजूदा प्राध्यापकों के प्रदर्शन की समीक्षा करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने के निर्देश देने का भी अनुरोध किया था.
याचिका में कहा गया था, 'प्रतिवादी संस्थान (आईआईटी) अनुसूचित जाति (15 प्रतिशत), अनुसूचित जनजाति (17 प्रतिशत) और अन्य पिछड़ा वर्ग (27 प्रतिशत) के तहत सामाजिक रूप से हाशिये पर मौजूद समुदायों को आरक्षण प्रदान करने वाली नीतियों का पूरी तरह से उल्लंघन कर रहे हैं.'
(इनपुट: भाषा)
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