नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय झारखंड सरकार और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सोमवार को सहमत हो गया.


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किस फैसले को चुनौती दिया गया?


ये याचिकाएं उच्च न्यायालय (High Court) के उस फैसले को चुनौती देते हुए दाखिल की गई हैं, जिसमें खनन पट्टे जारी करने में कथित अनियमितताओं को लेकर मुख्यमंत्री (Chief Minister) के खिलाफ जांच की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया था.


प्रधान न्ययाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल व मीनाक्षी अरोड़ा के उस प्रतिवेदन पर गौर किया, जिसमें मामले में जल्द सुनवाई करने का अनुरोध किया गया था.


चीफ जस्टिस ने क्या कहा? जानिए


दोनों अधिवक्ता क्रमश: झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री की ओर से पेश हुए थे. प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice) ने कहा, 'हम इसे सूचीबद्ध करेंगे.'


झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष दाखिल याचिका में खनन पट्टे जारी करने में कथित अनियमितताओं और मुख्यमंत्री के परिजनों तथा सहयोगियों द्वारा कथित तौर पर संचालित मुखौटा कंपनियों के लेन-देन को लेकर जांच करने का अनुरोध किया गया था. उच्च न्यायालय ने संबंधित याचिका को मंजूर कर लिया था.


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