नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में एक बेहद ही अहम और जरूरी फैसला सुनया है. सुप्रीम कोर्ट का यह बड़ा और अहम फैसला महिलाओं के गर्भपात को लेकर आया है. सुप्रीम कोर्ट ने MTP यानी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत सभी महिलाओं को गर्भपात कराने का अधिकार दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी देते हुए विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच होने वाले भेदभाव पूर्ण रवैये को भी गलत ठहराया है.


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अविवाहित महिलाओं को भी गर्भापात कराने का कनूनी अधिकार


गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम (MTP) यानी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत विवाहित या अविवाहित सभी महिलाओं को गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक सुरक्षित व कानूनी रूप से गर्भपात कराने का अधिकार दिया.  न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की एक पीठ ने एमटीपी अधिनियम की व्याख्या पर फैसला सुनाते हुए कहा कि चाहे महिला विवाहित हो या अविवाहित, वह गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक वह गर्भपात करा सकती है. 


भेदभाव करना सही नहीं


गर्भपात के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच होने वाले भेदभाव पूर्ण रवैये को भी गलत ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी देते हुए यह कहा कि गर्भपात कानून के तहत विवाहित या अविवाहित महिला के बीच पक्षपात करना प्राकृतिक नहीं है व संवैधानिक रूप से भी सही नहीं है. यह उस रूढ़िवादी सोच को कायम रखता है कि केवल विवाहित महिलाएं ही यौन संबंध बनाती हैं. पीठ ने 23 अगस्त को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (MTP) अधिनियम के प्रावधानों की व्याख्या पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें विवाहित और अविवाहित महिलाओं के 24 सप्ताह की गर्भावस्था तक गर्भपात कराने को लेकर अलग-अलग प्रावधान हैं. 


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