Agni Prime: भारत की वो घातक मिसाइल, जिसकी ताकत से कांपेंगे चीन और पाकिस्तान; जानें 5 खासियत
भारत ने एक ऐसी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर लिया है, जिसकी ताकत से दुश्मनों के होश फाख्ता हो जाएंगे. अग्नि प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया. आपको इस रिपोर्ट में ये समझाते हैं कि ये मिसाइल कितना घातक है.
नई दिल्ली: भारत की स्ट्रेटेजिक फोर्सेज कमांड (Strategic Forces Command) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप पर एक घातक परमाणु मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. अग्नि प्राइम (Agni Prime) बैलिस्टिक मिसाइल की ताकत से दुश्मनों के होश उड़ जाएंगे. परीक्षण से पहले इलाके में नो फ्लाई जोन घोषित किया गया था.
नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण
भारत ने नयी पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि प्राइम’ का बृहस्पतिवार को ओडिशा तट के एक द्वीप से सफल परीक्षण किया, अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तट से ‘अग्नि प्राइम’ का परीक्षण किया और इस दौरान, यह मिसाइल सभी मानकों पर खरी उतरी. आपको सबसे पहले इस खतरनाक परमाणु मिसाइल की ताकत से रूबरू करवाते हैं.
अग्नि पी (Agni P) मिसाइल की क्या है खासियत?
1). अग्नि प्राइम मिसाइल की रेंज 1000 से 2000 किलोमीटर है. ये अग्नि सीरीज की नई जेनेरेशन की मिसाइल है.
2). अग्नि पी में मल्टीपल इंडेपेंडटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) लगा सकते हैं, जिससे एक ही मिसाइल से कई टारगेट्स तबाह किए जा सकते हैं.
3). अग्नि प्राइम मिसाइल हाई इंटेंसिटी वाले विस्फोटक, थर्मोबेरिक या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. मिसाइल की नाक पर 3 हजार किलोग्राम वजन के वॉरहेड लग सकते हैं.
4). मिसाइल का तीसरा स्टेज बेहद खास है. तीसरे स्टेज को दूर से नियंत्रित करके दुश्मन के टारगेट पर सटीक हमला हो सकता है. ये स्टेज MaRV यानी मैन्यूवरेबल रीएंट्री व्हीकल है.
5). अग्नि प्राइम मिसाइल का वजन बाकी अग्नि मिसाइलों से कम होता है. पिछले वर्जन से ये हल्का भी है और खतरनाक भी है. भारत ने एरिया डिनायल वेपन के तौर पर इस मिसाइल को बनाया है.
इस मिसाइल की सटीकता और विश्वसनीयता पर लगी मुहर
अधिकारियों के मुताबिक, विकास चरण में ‘अग्नि प्राइम’ के तीन सफल परीक्षण के बाद यह मिसाइल को सशस्त्र बलों में शामिल किए जाने से पूर्व इसका पहला रात्रि परीक्षण था, जिसने इसकी सटीकता और विश्वसनीयता पर मुहर लगाई. उन्होंने बताया कि अलग अलग जगहों पर क्षैतिज दूरी नापने वाले उपकरण, जैसे कि राडार, टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम सहित दो जहाज तैनात किए गए थे, ताकि मिसाइल के पूरे सफर के आंकड़े एकत्रित किए जा सकें.
अधिकारियों के अनुसार, डीआरडीओ और रणनीतिक बल कमान के शीर्ष अधिकारी ‘अग्नि प्राइम’ के सफल परीक्षण के गवाह बने, जिसने इन मिसाइल को सशस्त्र बलों में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त किया। ‘अग्नि प्राइम’ के सफल परीक्षण के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और सशस्त्र बलों को बधाई दी। रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने डीआरडीओ प्रयोगशालाओं की टीमों और परीक्षण में शामिल होने वालों की सराहना की.
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