नई दिल्लीः ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने हमेशा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के दृष्टिकोण का विरोध किया है, लेकिन कट्टरपंथी संगठन पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता. 


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सरकार ने लगाया 5 साल का प्रतिबंध
सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से ‘संबंध’ होने के कारण पीएफआई और उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर बुधवार को पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया. 


'लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का किया है समर्थन'
ओवैसी ने कई ट्वीट में कहा, ‘मैंने हमेशा पीएफआई के दृष्टिकोण का विरोध किया है और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का समर्थन किया है, लेकिन पीएफआई पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता है.’


'चुनावी निरंकुशता पहुंची फासीवाद के करीब'
उन्होंने कहा, ‘इस तरह का प्रतिबंध खतरनाक है, क्योंकि यह किसी भी उस मुसलमान पर प्रतिबंध है, जो अपने मन की बात कहना चाहता है. जिस तरह से भारत की ‘चुनावी निरंकुशता’ फासीवाद के करीब पहुंच रही है, भारत के ‘काले’ कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई पर्चे के साथ गिरफ्तार किया जाएगा.’


कई राज्यों ने की थी प्रतिबंध लगाने की मांग
बता दें कि कुछ दिनों पहले ही देश भर में पीएफआई के ठिकानों पर एनआईए ने छापेमारी की गई थी. इस छापेमारी के बाद कई खुलासे सामने आए. तब जाकर पीएफआई पर बैन लगाने की कार्रवाई की गई है. संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग कई राज्यों ने की थी. 


पीएफआई से जुड़े संगठनों पर लगा प्रतिबंध
पीएफआई के सहयोगी संगठन - रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल विमेन फ्रंट (NVF), जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल - भी प्रतिबंधित हैं.


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