नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश की सपा को मिली करारी हार के बाद एक-एक करके उनके साथी पीछा छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं. चाचा शिवपाल यादव के साथ रिश्तों में भी खटास पैदा हो गई. अब ये विवाद और गहरा हो गया है. 


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यूपी की सियासत में नए मोर्चे की सुगबुगाहट
शिवपाल यादव और डीपी यादव के नेतृत्व में यादव नेता एक मंच पर जुटेंगे. शिवपाल सिंह यादव और डीपी यादव ने जिम्मेदारी संभाली. यदुकुल पुनजार्गरण मिशन के तहत एक मंच पर लाने की तैयारी है.


प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (प्रसपा) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने बृहस्पतिवार को यादव तथा अन्य पिछड़ी जातियों को एकजुट करने के मकसद से ‘यदुकुल पुनर्जागरण मिशन’ शुरू करने का ऐलान किया. शिवपाल को इस मिशन का संरक्षक और बाहुबली पूर्व सांसद डीपी यादव को इसका अध्यक्ष बनाया गया है.


शिवपाल ने भतीजे की सपा को दिया झटका
शिवपाल ने इस मिशन की घोषणा के सिलसिले में आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक सवाल पर कहा कि यह संगठन किसी राजनीतिक दल के समर्थन या विरोध में नहीं है और ना ही इसके जरिए किसी को निशाना बनाया जाएगा. उनसे पूछा गया था कि क्या यह मिशन सपा के मुकाबले में शुरू किया गया है.


उन्होंने कहा कि इस मिशन के तहत यादव, कुर्मी और लोध समेत पिछड़े वर्गों की सभी जातियों के हितों के लिए संघर्ष किया जाएगा. यह संगठन उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि बिहार, झारखंड, राजस्थान और तमिलनाडु समेत देश के विभिन्न राज्यों में चलाया जाएगा.


'दबे कुचले वर्गों के सामने बहुत समस्याएं'
शिवपाल ने कहा कि इस समय किसानों, छात्रों, नौजवानों और अन्य दबे कुचले वर्गों के सामने बहुत समस्याएं हैं. यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के तहत इन सभी वर्गों को जागरूक और एकजुट किया जाएगा. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव द्वारा वर्ष 2024 का आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़े जाने की अटकलों से संबंधित एक सवाल पर शिवपाल ने कहा, 'हम नेता जी (मुलायम) से मांग करेंगे कि वह लोकसभा चुनाव लड़ें. हमने पिछली बार भी उनके लिए प्रचार किया था और इस बार भी जिताएंगे.'


मिशन के अध्यक्ष बाहुबली पूर्व सांसद डीपी यादव ने इस अवसर पर कहा कि इस मिशन का मकसद तोड़ना नहीं बल्कि जोड़ना है. उन्होंने कहा कि यदुकुल के इतिहास में बहुत सी जातियां हैं. यह मिशन उन सभी के लिए संघर्ष करेगा.


10 मांगों पर संघर्ष करने की बात कही
उन्होंने कहा कि इस मिशन के तहत जातीय जनगणना कराने, अहिर रेजिमेंट का गठन, सभी युवकों को सरकारी नौकरी या न्यूनतम आठ हजार रुपये प्रतिमाह की सहायता और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी देने का कानून बनाने समेत 10 मांगों पर संघर्ष किया जाएगा.


गौरतलब है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया का अध्यक्ष होने के बावजूद शिवपाल यादव ने इस साल के शुरू में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जीता था. हालांकि, चुनाव में पार्टी को वांछित सफलता नहीं मिल पाने को लेकर हुई सपा विधायकों की बैठक में नहीं बुलाए जाने से शिवपाल सपा नेतृत्व से नाराज हो गए थे और उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की नीतियों पर सवाल उठाए थे.


साथ ही, उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के बजाय भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था. उसके बाद सपा नेतृत्व में उन्हें यह कहते हुए आजाद कर दिया था कि उन्हें जहां ज्यादा सम्मान मिले वहां जाने के लिए वह ‘स्वतंत्र’ हैं.


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