नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयम् संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने देश में आरक्षण व्यवस्था पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि देश में आरक्षण व्यवस्था तब तक लागू रहनी चाहिए जब तक समाज में भेदभाव कायम है. भागवत का कहना है कि भेदभाव भले ही नजर नहीं आता लेकिन यह समाज में अब भी व्याप्त है. मोहन भागवत ने यह बात नागपुर के एक कार्यक्रम में बुधवार को कही हैं. 


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हमने सामाजिक व्यवस्था में बंधुओं को पीछे छोड़ दिया
मोहन भागवत ने कहा कि संविधान में दी गई आरक्षण व्यवस्था का संघ वाले पूरी तरह समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा कि सामाजिक व्यवस्था में हमने अपने भाई-बंधुओं को पीछे छोड़ दिया. यह व्यवस्था 2000 वर्षों तक चली. इसलिए जब तक उन्हें समानता न मिल जाए कुछ विशेष उपचार तो होने ही चाहिए. आरक्षण इनमें से एक है.


अखंड भारत पर रखी अपनी राय
यही नहीं उन्होंने अखंड भारत को लेकर भी अपनी राय दी. उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी के बुजुर्ग होने तक अखंड भारत हकीकत में तब्दील हो जाएगा. हालांकि यह सटीक रूप से नहीं बताया जा सकता कि अखंड भारत ठीक किस वक्त अपने अस्तित्व में आएगा.



सनातन धर्म पर टिप्पणी को लेकर मचा है बवाल
बता दें मोहन भागवत का यह अहम बयान ऐसे वक्त में आया है जब तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि के एक बयान को लेकर बवाल मचा हुआ है. इसके बाद कांग्रेस नेता प्रियांक खरगे ने भी सनातन धर्म पर टिप्पणी की है. दोनों ही नेताओं ने अपनी 'तीखी' टिप्पणी का आधार भेदभाव की व्यवस्था को बताया है. 


क्या है उदयनिधि की विवादित टिप्पणी
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि ने एक कार्यक्रम में सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया से कर दी थी. बाद में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने भी उदयनिधि का समर्थन किया था. इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने भी कहा कि जो धर्म असमानता को बढ़ावा देता है, वह बीमारी ही है.


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