पोर्ट ब्लेयरः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के 21 द्वीपों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री ने वीरता पुरस्कार विजेताओं को समर्पित द्वीपों के नामों की वर्चुअल घोषणा की. 


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जानिए द्वीपों की पूरी लिस्ट
लेफ्टिनेंट कर्नल (तत्कालीन मेजर) धन सिंह थापा के नाम पर धन सिंह द्वीप, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर के नाम पर तारापोर द्वीप, लांस नायक करम सिंह के नाम पर करम सिंह द्वीप, नायब सूबेदार बाना सिंह के नाम पर बाना द्वीप, लांस नायक अल्बर्ट एक्का के नाम पर एक्का द्वीप, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल के नाम पर खेत्रपाल द्वीप, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे के नाम पर पांडे द्वीप, मेजर होशियार सिंह के नाम पर होशियार द्वीप, मेजर शैतान सिंह के नाम पर शैतान द्वीप, नायक जदुनाथ सिंह के नाम पर जदुनाथ द्वीप, सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव के नाम पर सूबेदार द्वीप.


कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार (सीक्यूएमएच) अब्दुल हमीद के नाम पर हमीद द्वीप, सेकेंड लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणे के नाम पर राणे द्वीप, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन के नाम पर रामास्वामी द्वीप, कैप्टन विक्रम बत्रा के नाम पर बत्रा द्वीप, सूबेदार जोगिंदर सिंह के नाम पर जोगिंदर द्वीप, कैप्टन जी एस सलारिया (तत्कालीन मेजर) के नाम पर सलारिया द्वीप, कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह के नाम पर पीरू द्वीप, मेजर सोमनाथ शर्मा के नाम पर सोमनाथ द्वीप, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों के नाम पर सेखों द्वीप और सूबेदार मेजर (तत्कालीन राइफलमैन) संजय कुमार के नाम पर संजय द्वीप. 


जानिए क्या बोले पीएम मोदी
इनमें भारत-चीन जंग में पैर से मशीनगन चलाने वाले मेजर शैतान सिंह, कारगिल जंग के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा और मनोज कुमार पांडेय के नाम पर द्वीपों के नाम रखे गए.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस प्रोग्राम से जुड़े. PM मोदी ने कहा- अंडमान की धरती पर ही सबसे पहले तिरंगा लहराया गया था. आजाद भारत की पहली सरकार यहीं बनी थी. आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिवस भी है. इस दिन को हम पराक्रम दिवस के तौर पर मना रहे हैं.


चीनी सैनिकों पर मशीनगन से चलाई गोली
1962 के युद्ध में मेजर शैतान सिंह ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने सैनिकों का हौसला बनाए रखा और गोलियों की बौछार के बीच एक प्लाटून से दूसरी प्लाटून जाकर सैनिकों का नेतृत्व किया. एक जवान ने दस-दस चीनी सैनिकों से लोहा लिया.


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घंटों की गोलीबारी के बाद ज्यादातर जवान शहीद हो गए और बहुत से जवान बुरी तरह घायल हो गए. मेजर के दोनों हाथ जख्मी हो गए थे तब उन्होंने दो सैनिकों से कहा कि गन के ट्रिगर को रस्सी से मेरे एक पैर से बांध दो. फिर कैप्टन ने रस्सी की मदद से अपने एक पैर से फायरिंग करनी शुरू कर दी. चीनी सैनिकों से लोहा लेते हुए वो लापता हो गए, फिर तीन दिन बाद उनका पार्थिव शरीर वहां एक पत्थर के पीछे मिला.


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