`दोस्त की बहुत याद आती है`! यादों में जिंदा जेटली, पढें 15 कहानियां
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अरुण जेटली की पहली पुण्यतिथि आज. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर वीडियो शेयर कर श्रद्धांजलि दी है और लिखा- दोस्त की बहुत याद आती है. इस खास रिपोर्ट में अरुण जेटली के जीवन की 15 कहानियां पढ़िए..
नई दिल्ली: आज देश के पूर्व कैबिनेट मंत्री अरुण जेटली की पुण्यतिथि है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें याद करते हुए ट्वीट किया और लिखा कि दोस्त की बहुत याद आती है. आपको 15 ऐसी कहानियों से रूबरू करवाते हैं, जिससे अरुण जेटली की यादें ताजा हो जाएंगी.
जेटली के जीवन की 15 कहानियां
01. सादगी के लिए पहचाने जाते थे जेटली
देश के पूर्व वित्त और रक्षा मंत्री अरुण जेटली अपनी सादगी के लिए पहचाने जाते थे. जेटली की सादगी ऐसी थी कि अपनी भाषा शैली और अपने ज्ञान के बूते अच्छे-अच्छों को जीत लेते थे.
02. कभी नहीं जीत पाए लोकसभा चुनाव
जब उन्हें विनिवेश राज्य (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री नियुक्त किया गया, तो मंत्रालय को नव निर्मित किया गया. उन्हें जम्मू-कश्मीर सरकार के नामांकित व्यक्तियों और जुलाई 2002 में राज्यों में शक्तियों के विभाजन के मुद्दे पर अन्य समूहों के साथ चर्चा करने के लिए केंद्र सरकार के प्रतिनिधि नियुक्त किया गया था. उन्होंने लोकसभा चुनाव कभी नहीं जीता.
03. मोदी सरकार में बड़ा जिम्मा संभाला
अरुण जेटली का जन्म 28 दिसम्बर 1952 को देश की राजधानी नई दिल्ली में हुआ था. वो भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता थे. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में वित्त मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, शासन में केंद्रीय न्याय मंत्रालय के साथ-साथ कई बड़े विभागों का नेतृत्व किया.
04. पेशे से वकील थे अरुण जेटली
1977 एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद, अरुण जेटली 1977 से भारत के सर्वोच्च न्यायालय और देश के कई उच्च न्यायालयों में वकालत की प्रैक्टिस की. जिसके बाद जनवरी 1990 में, उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था.
05. जेपी आंदोलन के प्रमुख किरदार थे जेटली
साल 1970 में अरुण जेटली बीजेपी की युवा शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में शामिल हुए. वो 1973 में स्वर्गीय श्री जय प्रकाश नारायण द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ एक आंदोलन के प्रमुख नेता थे.
06. इमरजेंसी के वक्त 19 महीने जेल में रहे
साल 1974 में जेटली को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में चुना गया. जिसके बाद सन् 1975 में अरुण जेटली को इमरजेंसी के दौरान एम.आई.एस.ए. के तहत 19 महीने के लिए हिरासत में लिया गया था. जेटली ने 1975 में आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया. उस समय वह युवा मोर्चा के संयोजक थे. उन्हें पहले अंबाला जेल में और फिर तिहाड़ जेल में रखा गया था.
07. जब जनसंघ में शामिल हो गए जेटली
साल 1977 अरुण जेटली जनसंघ में शामिल हुए. बाद में उन्होंने एबीवीपी के अखिल भारतीय सचिव के रूप में नियुक्त किया.
08. भारत सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रहे
साल 1989 में अरुण जेटली को भारत सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया. उन्होंने एक वर्ष तक इस पद पर कार्य किया.
09. 1999 में पहली बार बने थे केंद्रीय मंत्री
अरुण जेटली ने 10 दिसंबर 1999 से जुलाई 2000 तक केंद्र सरकार में विनिवेश विभाग (अतिरिक्त प्रभार) के बतौर राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार संभाला. इसके बाद उन्हें 13 अक्टूबर 1999 से 30 सितंबर 2000 तक सूचना और प्रसारण मंत्रालय के राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का पद सौंपा गया. जेटली 7 नवंबर 2000 से 1 जुलाई 2002 तक कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री भी रहें.
10. अप्रैल 2000 में राज्य सभा के लिए चुने गए
अप्रैल 2000 में अरुण जेटली को पहली बार राज्य सभा के लिए चुना गया. 20 मार्च 2001 से 1 सितंबर 2001 तक उन्हें जहाजरानी मंत्री का (अतिरिक्त प्रभार) दिया गया. 29 जुलाई 2002 से 29 जनवरी 2003 तक वह दिल्ली विश्वविद्यालय के सदस्य, न्यायालय रहें और फिर 29 जनवरी 2003 से 21 मई 2004 वो कानून और न्याय मंत्री और वाणिज्य और उद्योग मंत्री भी रहें.
11. मोदी लहर में भी हार गए थे लोकसभा चुनाव
जेटली 2014 में अमृतसर से लोकसभा चुनाव हार गए थे, इसके बावजूद उनकी योग्यता को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा दिया.
12. मई 1982 में जेटली ने कर ली थी शादी
अरुण जेटली के पिता महाराज किशन पेशे से वकील थे. अरुण जेटली ने नई दिल्ली सेंट जेवियर्स स्कूल से 1957-69 तक पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और डीयू से 1977 में लॉ की डिग्री ली. 24 मई 1982 को जेटली की शादी संगीता जेटली से हुई. इनके दो बच्चे हैं- रोहन और सोनाली.
13. नोटबंदी और GST के लिए याद किए जाएंगे
मोदी सरकार पार्ट-1 में अरुण जेटली ने बतौर वित्तमंत्री कई ऐतिहासिक फैसलों पर मुहर लगाई. जहां मोदी सरकार ने नोटबंदी की तो जेटली की इसमें अहम किरदार साबित हुआ. वहीं जीएसटी लागू होने और उसे सरल बनाने में जेटली ने अपनी प्रतिभा का जबरदस्त इस्तेमाल किया.
14. 2009 में बने सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य
जेटली अगस्त 2009 से मई 2014 तक संसद भवन परिसर में राष्ट्रीय नेताओं और सांसदों की प्रतिमाओं की स्थापना पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य बने. 2009 में उन्हें सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था.
15. जून 2009 में चुने गए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष
3 जून 2009 को राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया. 16 जून 2009 को उन्होंने अपनी पार्टी के वन मैन वन पोस्ट सिद्धांत के अनुसार भाजपा के महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया.