Asaduddin Owaisi on CAA: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.


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अपनी याचिका में, ओवैसी ने कहा कि कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान नागरिकता अधिनियम, 1955 (क्योंकि यह नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा संशोधित है) की धारा 6 बी के तहत नागरिकता का दर्जा देने की मांग करने वाले किसी भी आवेदन पर सरकार द्वारा विचार या कार्रवाई नहीं की जा सकती है.


ओवैसी का तर्क है कि मोदी सरकार का कानून संविधान के खिलाफ है. उन्होंने कहा, 'चार साल पहले मोदी सरकार द्वारा बनाया गया यह कानून संविधान के खिलाफ है. आप धर्म के आधार पर कानून नहीं बना सकते. इस पर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं. सीएए समानता के अधिकार के खिलाफ है.'


अमित शाह बोले- कभी वापस नहीं होगा कानून
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा है कि सीएए कभी वापस नहीं लिया जाएगा और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार इसके साथ कभी समझौता नहीं करेगी.


केंद्र ने कहा है कि सीएए नागरिकता देने के बारे में है और देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी.


क्या है CAA?
2019 से शीर्ष अदालत में दायर दो सौ से अधिक संबंधित याचिकाओं में विभिन्न सीएए प्रावधानों को चुनौती दी गई है. इस कानून का उद्देश्य गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को तेजी से नागरिकता प्रदान करना है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए थे.


सीएए को दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था, लेकिन अब केंद्र सरकार ने सोमवार को इसके नियम जारी करते हुए पूरे देश में लागू कर दिया. वहीं, सुप्रीम कोर्ट रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर 19 मार्च को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है.


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