Assam News:  असम के दीमा हसाओ जिले में एक कोयला खदान में भूमिगत पानी घुस जाने के कारण सोमवार सुबह से अज्ञात संख्या में श्रमिकों के फंसे होने की आशंका है. अधिकारियों के अनुसार, पहाड़ी जिले के उमरंगशू क्षेत्र में टिन किलो नामक स्थान पर राज्य सरकार के खान एवं खनिज विभाग द्वारा संचालित कोयला खदान के अंदर कई श्रमिक गए थे.


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दीमा हसाओ के डिप्टी कमिश्नर सिमंत कुमार दास ने कहा, 'प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, कुछ मजदूर खदान के अंदर फंसे हुए हैं. लेकिन चूंकि खदान का स्थान एक सुदूर क्षेत्र में है और आसानी से पहुंचा नहीं जा सकता, इसलिए यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि कितने लोग अंदर हैं और उनकी हालत क्या है.'


असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने X पर एक पोस्ट में कहा, 'उमरंगशू से दुखद खबर, जहां मजदूर एक कोयला खदान में फंसे हुए हैं. सही संख्या और स्थिति अभी भी अज्ञात है. डीसी, एसपी और मेरे सहयोगी कौशिक राय घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं. सभी की सुरक्षा के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहा हूं.'


उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा, 'हमने चल रहे बचाव अभियान में सेना की सहायता मांगी है. राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) भी प्रयासों में सहायता के लिए घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं.' अधिकारियों ने बताया कि खदान जिला मुख्यालय हाफलोंग से करीब 5-6 घंटे की दूरी पर स्थित है. जबकि राज्य और केंद्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ और एनडीआरएफ) की टीमें घटनास्थल पर पहुंच रही हैं, लेकिन वे सोमवार शाम तक घटनास्थल पर नहीं पहुंच पाई हैं.


कितने बजे की घटना है?
HT रिपोर्ट के अनुसार, दास ने बताया, 'हमें घटना की जानकारी दोपहर 1 बजे के आसपास मिली. जब दोपहर में नजदीकी पुलिस स्टेशन से एक टीम मौके पर पहुंची, तो वहां कोई भी ऐसा नहीं था जो यह बता सके कि वास्तव में क्या हुआ था. मैं पुष्टि करने के लिए घटनास्थल पर जा रहा हूं.' (यह शाम 6.30 की बात है) उन्होंने कहा कि चूंकि अंधेरा हो चुका है, इसलिए मंगलवार सुबह छह बजे से बचाव कार्य शुरू हो जाएगा.


दीमा हसाओ जिले के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी रिक्की बी. फुकन ने कहा, 'हम फंसे हुए लोगों की सही संख्या के बारे में टिप्पणी नहीं कर सकते, क्योंकि अलग-अलग लोग अलग-अलग बयान दे रहे हैं. हमें जो पता है, वह यह है कि सुबह नौ बजे के आसपास कई श्रमिकों का एक समूह खदान में गया था.' उन्होंने कहा, 'हालांकि उस समय क्षेत्र में बारिश नहीं हो रही थी, लेकिन ऐसा लगता है कि भूमिगत पानी खदान में घुस गया था, जिससे श्रमिक फंस गए. हमें अभी तक सटीक कारण के बारे में पता नहीं है.'


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