Atal Bihari Vajpayee Birthday: स्कूली शिक्षा से राजनीति के शिखर का सफर, कैसे `अजातशत्रु` बने अटल
atal bihari vajpayee birthday 2023: भारतीय राजनीति के प्रखर वक्ताओं में शुमार किए जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी को अजातशत्रु भी कहा जाता था. करीब चार दशक तक राजनीतिक जीवन में रहने के दौरान उनकी भाषण कला के माहिर विपक्षी दलों के लोग भी थे.
नई दिल्ली. Atal Bihari Vajpayee jivan parichay: देश की राजनीति में 'अजाशत्रु' के नाम से मशहूर पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की सोमवार को जंयती है. प्रखर वक्ता, पत्रकार, राजनीतिज्ञ और शानदार स्टेट्समैन की पहचान रखने वाले अटल बिहार देश लोकप्रिय नेताओं में शुमार किए जाते रहे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के पहले अटल बिहारी लगभग 6 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहने वाले देश के पहले गैर-कांग्रेसी नेता थे. उनका जन्मदिन देश में सुशासन दिवस (Sushasan Diwas 2023) के रूप में मनाया जाता है.
ग्वालियर में हुआ था अटल का जन्म, कानपुर में उच्च शिक्षा
25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में जन्में अटल बिहारी ने शुरुआती शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर से हासिल की थी. इसके बाद उन्होंने ग्वालियर के ही विक्टोरिया कॉलेज से अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत की शिक्षा हासिल की. इसके बाद आगे के अध्ययन के लिए अटल कानपुर पहुंचे और यहां के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में परास्नातक की डिग्री हासिल की. उन्होंने कानून की पढ़ाई के लिए लॉ में भी एडमिशन लिया लेकिन पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी.
पत्रकार के रूप में शुरू किया था करियर
अटल बिहारी ने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था और 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी थी. अटल अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राष्ट्रवादी राजनीति में तब आये जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया. कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी. उनकी यह रुचि वर्षों तक बनी रही एवं विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने अपने इस कौशल का परिचय दिया.
9 बार रहे लोकसभा के सांसद, दो बार राज्यसभा के
अटल बिहारी राजनीति चार दशकों तक सक्रिय रहे. वह लोकसभा में नौ बार और राज्य सभा में दो बार चुने गए. प्रधानमंत्री के अलावा विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. 1994 में उन्हें भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया.
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