नई दिल्ली: त्रिपुरा के 5 आदिवासी संगठनों के सदस्यों ने सोमवार को यहां बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग के सामने पड़ोसी देश के कॉक्स बाजार जिले में टेकनाफ के तहत कटखाली वन बौद्ध मठ पर हमले और आग लगाने की निंदा की. 5 आदिवासी संगठनों के एक संयुक्त बयान में हाल में कहा गया कि 24 अक्टूबर को हुए हमले के दौरान चकमा समुदाय से संबंधित महिलाओं सहित कम से कम 8 स्वदेशी व्यक्ति घायल हो गए.


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बांग्लादेश सरकार ने नहीं की थी कार्रवाई


इन संगठनों ने सहायक उच्चायुक्त मोहम्मद जोबायद होसेन के माध्यम से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को एक ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में कहा गया है कि कटखाली वन बौद्ध मठ पर हमला 13 अक्टूबर से मंदिरों, दुर्गा पूजा पंडालों और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले की घटनाओं की एक श्रृंखला के बाद हुआ, जो दर्शाता है कि देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है.


बांग्लादेश सरकार पर उठे सवाल


ज्ञापन में कहा गया है, "ऐसा इसलिए है, क्योंकि बांग्लादेश सरकार 2012 में चटगांव के रामू, कॉक्स बाजार और पाटिया में 19 बौद्ध मंदिरों और लगभग 100 घरों को नष्ट करने वालों को दंडित करने में विफल रही है." इन संगठनों ने अपने बयान में कहा, "बांग्लादेश सरकार की जिम्मेदारी है कि वह धार्मिक अल्पसंख्यकों के जीवन, संपत्ति और उनके धर्म का पालन करने के अधिकार की रक्षा करे."


मुकदमा चलाने की उठी मांग


आदिवासी संगठनों ने कटखाली वन बौद्ध मठ पर हमले और चकमा समुदाय के कम से कम 8 स्वदेशी व्यक्तियों पर हमले के अपराधियों को न्याय के लिए लाने और रामू, कॉक्स के 19 बौद्ध मंदिरों और लगभग 100 घरों को नष्ट करने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की.


सोमवार को प्रदर्शन करने वाले आदिवासी संगठनों में चकमा नेशनल काउंसिल ऑफ इंडिया, चकमा बौद्ध वेलफेयर सोसाइटी, यंग चकमा एसोसिएशन, त्रिपुरा चकमा स्टूडेंट्स एसोसिएशन और त्रिपुरा रेज्यो चकमा गबुच्य जोड़ा शामिल रहा.


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