राजस्थान में केबल पर टिका पुल का काम पूरा, खासियत जानकर आप भी रह जाएंगे दंग
केबल पुल को लेकर मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह पुल कोटा बायपास और गुजरात के पोरबंदर से असम के सिलचर तक पूर्व-पश्चिम गलियारे का हिस्सा है. उन्होंने बताया कि इस पुल का निर्माण अत्याधुनिक प्रणाली को ध्यान में रखकर किया गया है. यह पुल काफी अधिक यातायात को झेल सकता है.
नई दिल्लीः केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि राजस्थान में पूर्व-पश्चिम गलियारे के राष्ट्रीय राजमार्ग-76 (एनएच-76) पर ‘केबल पर टिके’ पुल के निर्माण और रखरखाव की परियोजना पूरी हो गई है. यह पुल कोटा बायपास में चंबल नदी पर बनाया गया है. गडकरी ने एक ट्वीट में कहा कि चंबल नदी पर 1.4 किलोमीटर लंबे केबल पुल पर कुल 214 करोड़ रुपये की लागत आई है.
पुल की खासियत
उन्होंने कहा कि यह पुल कोटा बायपास और गुजरात के पोरबंदर से असम के सिलचर तक पूर्व-पश्चिम गलियारे का हिस्सा है. गडकरी ने कहा कि अत्याधुनिक प्रणाली से निर्मित यह पुल काफी अधिक यातायात को झेल सकता है. भारी बारिश, हवा, तूफान आदि की स्थिति में भी इसपर असर नहीं पड़ेगा. पुल में भूकंप की सूचना प्रणाली भी लगाई गई है. उन्होंने कहा कि इस परियोजना से राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र के लोगों को फायदा होगा. साथ ही कोटा शहर में यातायात की भीड़ को कम करने में भी मदद मिलेगी.
नितिन गडकरी ने किया ट्वीट
नितिन गडकरी ने अपने हैंडल से ट्वीट कर कहा, ''इंफ्रा गति के 8 साल के माध्यम से कनेक्टिविटी बढ़ाना! प्रधान मंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत सरकार ने देश में बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. पुल के केबल प्रकृति में वायु-गति-विज्ञान का समावेश किया गया है. ऐसे में यह केबल तूफानी हवाओं में भी मजबूती के साथ पुल को खड़ा रखेगा.''
वन्यजीवों को परेशानी से बचाने के लिए किया ये काम
अपने एक अन्य ट्वीट में मंत्री गडकरी ने कहा, ''वन्यजीवों को परेशानी से बचाने के लिए, पुल के दोनों ओर 700 मीटर की लंबाई में लगभग 70% दृश्यता के साथ 7.5 मीटर शोर अवरोध स्थापित किया गया है. इस कार्य से वन्यजीवों भी आसानी से आसपास रह सकते हैं.'' उन्होंने इस पुल को प्रगति का हाईवे करार देते हुए गतिशक्ति हैशटैग के साथ ट्वीट किया, ''इस परियोजना से न केवल राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र के निवासियों को लाभ हुआ है बल्कि कोटा शहर में यातायात की भीड़ को कम करने में भी योगदान मिलेगा.''
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