राजीव-इंदिरा से अलग राहुल की राह, उन्हें चाहिए था-जातिविहीन भारत और ये कर रहे जातीय जनगणना की मांग
राजीव गांधी ने 1990 में संसद के भीतर कहा था, `वीपी सिंह मंडल कमीशन के जरिए हमारे समाज में दरार डाल रहे हैं, जबकि हमारे देश का लक्ष्य जाति विहीन (Castless Society)होना चाहिए.
नई दिल्ली. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इस समय मंडल कमीशन की वकालत कर रहे हैं. उन्होंने 'जितनी आबादी उतना हक' का स्लोगन हाल ही में दिया. जबकि उनके पिता राजीव गांधी ने भरी संसद में मंडल कमीशन को कोसा था. उन्होंने 1990 में संसद के भीतर कहा था, 'वीपी सिंह मंडल कमीशन के जरिए हमारे समाज में दरार डाल रहे हैं, जबकि हमारे देश का लक्ष्य जाति विहीन (Castless Society)होना चाहिए.
संसद में क्या था राजीव गांधी ने...
न्यूज 18 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने वीपी सिंह से मंडल कमीशन को लेकर 6 सितंबर 1990 में लोकसभा में दी गई एक स्पीच में कहा था, ' मंडल कमीशन को लागू करने का तरीका मेरे देश को तोड़ने वाला है. इन लेट आवर्स में सुझाव है कि इसे वापस ले लिया जाना चाहिए.' उन्होंने कहा, इसमें वीपी सिंह सरकार के अपने निहित स्वार्थ हैं. देश को इसका बहुत भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा.'
राजीव गांधी ने अपनी स्पीच में आगे कहा था कि मुझे समझ नहीं आता कि आखिर पिछड़ापन दूर करने के लिए हमें उसकी जड़ तक जाना होगा. केवल जाति की पहचान इस समस्या का हल नहीं है. हमें सबको बराबर का मौका देना चाहिए. उन्होंने कहा था, 'राजनीति करने से समस्या हल नहीं होगी. हम (कांग्रेस) पिछड़ापन दूर करने के लिए एक सकारात्मक और विस्तृत प्लान बनाने को तैयार है.' राजीव गांधी ने उसी स्पीच में यह भी कहा था, 'किसी एक व्यक्ति की जिद की वजह से देश को कास्ट वॉर में नहीं झोक देना चाहिए.
इंदिरा गांधी ने कहा था, न जात पर न पात पर...
राहुल गांधी आज जहां मंडल पॉलिटिक्स के नक्शेकदम पर चल रहे हैं वहीं उनकी दादी यानी इंदिरा गांधी ने मंडल कमीशन आने से दस पहले भी जाति की राजनीति को सिरे से नकारा था. इंदिरा गांधी ने भी जातिविहीन सोसायटी का 1980 में स्लोगन दिया था, ' ना जात पर न पात पर..'
पीएम मोदी ने बस्तर में राहुल गांधी के स्लोगन को लिया आड़े हाथों
पीएम ने कहा, मैं सोच रहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह क्या सोच रहे होंगे. उन्होंने कहा था, देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है. लेकिन अब कांग्रेस कह रही है कि आबादी तय करेगी कि देश के संसाधनों पर पहला हक किसका होगा? तो अब क्या कांग्रेस अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कम करना चाहती है? अगर आबादी के हिसाब से ही होने वाला है तो पहला हक किसका होना चाहिए? जरा, कांग्रेस वाले स्पष्टता करें. क्या कांग्रेस, अल्पसंख्यकों को हटाना चाहती है? तो क्या सबसे बड़ी आबादी वाले हिंदुओं को आगे आना चाहिए और अपने सभी अधिकार लेने चाहिए?
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