नई दिल्ली: CBSE 12वीं की इस साल की परीक्षा सरकार ने रद्द कर दी है. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अहम बैठक के बाद यह फैसला लिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सीबीएसई की 12वीं बोर्ड की परीक्षा के बारे में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में पीएम मोदी के साथ इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पूर्व एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी के अलावा पीएमओ और शिक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.


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कोरोना की दूसरी लहर के बीच इस बात पर लगातार चर्चा चल रही थी कि 12वीं की परीक्षा रद्द की जाए या नहीं. क्योंकि इसका सीधा असर मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाओं पर पड़ेगा. इन परीक्षाओं को पहले ही स्थगित किया जा चुका था. इससे पहले 10वीं की बोर्छाड परीक्षा को भी रद्द कर दिया गया था। छात्राओं का भविष्य बड़े पैमाने पर इन परीक्षाओं पर टिका हुआ था. 



 


इससे पहले शिक्षा मंत्री निशंक ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और शिक्षा मंत्रियों के साथ 25 मई को बैठक करके इस बारे में उनके विचार जाने थे. इस बारे में अंतिम फैसला 1 जून को होना तय हुआ था लेकिन निशंक इस बैठक से कुछ घंटे पहले कोरोना के बाद की परेशानियों की वजह से एम्स में भर्ती होना पड़ा.


छात्रों के स्वास्थ्य से समझौता नहींःपीएम
भारत सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा को रद्द कर दिया गया है. पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय बैठक में ये फैसला किया गया. पीएम मोदी ने कहा कि छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य से समझौता नहीं किया जा सकता है. छात्रों पर परीक्षा का दबाव नहीं डाला जा सकता.



पीएम ने कहा कि कोरोना की वजह से उपजे अनिश्चितता के माहौल में सभी पक्षों से सलाह मश्विरा करने के बाद ये फैसला किया गया है कि इस साल सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा नहीं आयोजित की जाएगी. सीबीएसई 12वीं की परीक्षा का रिजल्ट तैयार करने के लिए समयबद्ध और परिभाषित उद्देश्य को ध्यान में रखते रखते हुए आवश्यक कदम उठाएगा. गत वर्ष की तरह इस बार भी कुछ छात्र परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं ऐसे में उन छात्रों को ये मौका स्थितियां सामान्य होने के बाद दिया जाएगा.


 



केजरीवाल ने जताई खुशी
केंद्र सरकार के परीक्षा रद्द करने के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, मुझे 12वीं की परीक्षाओं को रद्द किए जाने के फैसले से खुशी हुई है. हम सभी अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित थे. ये एक बड़े राहत की खबर है. वहीं  दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार का ये फैसला डेढ़ करोड़ छात्रों के हित में है.



 


सुप्रीम कोर्ट से 2 दिन का वक्त मांगा था
CBSE और ICSE बोर्ड की परीक्षा पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हुई थी. इसमें केंद्र ने कहा था कि वह गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना प्लान पेश करेगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप जो भी निर्णय लेंगे, उसके पीछे आपको मजबूत दलील देनी होगी. जस्टिस खानविलकर ने कहा कि छात्रों को बहुत उम्मीद थी कि इस साल भी पिछले साल की तरह परीक्षा नहीं होगी और नंबरिंग के लिए मेथड सिस्टम अपनाया जाएगा.


छात्रों ने लिखी थी चिट्ठी, कई याचिकाएं हुई थीं दायर


3 हजार छात्रों ने परीक्षाओं को लेकर करीब एक हफ्ता पहले चीफ जस्टिस एनवी रमना को चिट्ठी लिखी थी. कहा था, 'कोरोना के बीच फिजिकल एग्जाम कराने का CBSE का फैसला रद्द कर दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट असेसमेंट का वैकल्पिक तरीका तय करने का निर्देश दे. देश में कोविड-19 के चलते कई स्टूडेंट्स ने अपने परिवार वालों को खोया है. ऐसे में इस समय फिजिकली परीक्षा कराना न सिर्फ लाखों छात्रों और टीचर्स की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि उनके परिवार वालों के लिए भी यह परेशानी का सबब है.'इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार तक कई याचिकाएं परीक्षा को रद्द करने संबंधी दायर की गई थीं.


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