नई दिल्ली: केंद्र सरकार का कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम अब अपने अंतिम चरण में है और स्वास्थ्य मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि वह अब से और कोविड-19 टीके नहीं खरीदेगी. इसी के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय ने 4,237 करोड़ रुपये (वर्ष 2022-23 में टीककरण के लिए आवंटित बजट का करीब 85 फीसदी) वित्त मंत्रालय को वापस कर दिये हैं. 


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अभी भी 1.8 करोड़ से अधिक डोज भंडारण गृहों में मौजूद


आधिकारिक सूत्रों ने मीडिया से कहा कि 1.8 करोड़ से अधिक टीके की खुराकें अब भी केंद्र और सरकार के भंडारण गृहों में मौजूद हैं, जो छह महीने तक टीकाकरण अभियान चलाने के लिहाज से पर्याप्त हैं. कोविड-19 के मामले घटने के कारण टीका लगवाने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है. यदि सरकार के पास टीका खत्म हो जाता है, तो भी यह बाजार में उपलब्ध होगा. 


एक अधिकारी ने मीडिया से कहा, ‘‘ छह महीने बाद कोई निर्णय लिया जाएगा कि टीकों की खरीद सरकारी माध्यम से की जाए या इस उद्देश्य के लिए बजट आवंटित किया जाये, लेकिन यह निर्भर करेगा कि उस समय देश में कोरोना वायरस की स्थिति क्या है.’’ 


बीते साल शुरू किया गया था टीकाकरण अभियान


पिछले साल 16 जनवरी से शुरू हुए देशव्यापी टीकाकरण अभियान के दौरान केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सहायता के लिए उन्हें कोविड-19 टीके मुफ्त में मुहैया कराए. सरकार ने सभी वयस्कों को मुफ्त में बूस्टर खुराक देने के लिए अमृत महोत्सव नाम से 75 दिवसीय कोविड टीकाकरण अभियान चलाया, लेकिन टीके की अधिक मांग नहीं दिखी. 


सूत्रों ने कहा, ‘‘इसे ध्यान में रखकर और भंडारित टीकों के खराब (एक्सपायर) होने की तिथि पास आता देख, अब से और टीका नहीं खरीदने का निर्णय लिया गया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्ष 2022-23 में टीकाकरण के लिए आवंटित 5000 करोड़ रुपये की कुल बजट राशि में बचे 4237.14 करोड़ रुपये वित्त मंत्रालय को वापस कर दिये.’’ 


अब तक 200 करोड़ से अधिक डोज लगाई गईं


रविवार सुबह सात बजे तक देश में लोगों को लगाई गई टीके की खुराक की संख्या 219.32 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि देश की 98 फीसदी वयस्क आबादी कोविड-19 टीके की कम से कम एक खुराक लगवा चुकी है, जबकि 92 फीसदी लोगों का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है. 


इसके अलावा देश के 15 से 18 साल के 83.7 फीसदी किशोरों को भी टीके की एक खुराक लग चुकी है, जबकि 72 फीसदी किशोर दोनों खुराक लगवा चुके हैं. किशोरों को टीके लगवाने की शुरुआत तीन जनवरी को हुई थी. 12 से 14 वर्ष के वर्ग में 87.3 फीसदी लोगों को पहली खुराक लग चुकी है, जबकि 68.1 फीसदी को टीके की दोनों खुराकें लग चुकी हैं. 18 वर्ष और इससे अधिक उम्र के पात्र लोगों में से 27 फीसदी लोग बूस्टर खुराक लगवा चुके हैं.


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