नई दिल्ली: भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के 20 रणबांकुरे वीरगति को प्राप्त हो गए. इनमें से एक हैं कर्नल संतोष बाबू. उनकी शहादत की खबर सुनकर उनके परिवार वालों और निकट संबंधियों के घर मातम छा गया. उनकी वीरता पर पूरे देश को गर्व है. उन्हीं की ताकत की बदौलत चीन को पीछे हटना पड़ा और उन्होंने बड़ी बहादुरी के साथ चीन को ऐसा सबक सिखाया है कि उसे भारत से भी दोगुना नुकसान इस सैनिक झड़प में उठाना पड़ा.


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संतोष की मां को बेटे पर गर्व


आपको बता दें कि कर्नल संतोष बाबू अपने माता पिता की इकलौती संतान थे. उनके न रहने से उनकी माँ और पिता का इकलौता सहारा भी छूट गया लेकिन इस बात का उनके मातापिता को कोई भी मलाल नहीं है. कर्नल संतोष की मां मंजुला ने कहा कि मुझे अपने बेटे पर गर्व है जिसने मातृभूमि के लिए बलिदान दिया. भले ही पूरे देश की तरह एक मां के रूप में मैं आज दुखी हूं लेकिन मुझे अपने बेटे की वीरता पर नाज है.


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तेलंगाना के रहने वाले हैं संतोष


आपको बता दें कि कर्नल संतोष के परिजन तेलंगाना के नालगोंडा जिले के रहने वाले हैं. कर्नल संतोष 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर थे और डेढ़ साल से सीमा पर तैनात थे. वह अपने पीछे पत्नी संतोषी, एक 9 साल की बेटी अभिनव और एक 4 साल का बेटा अनिरुद्ध को छोड़ गए हैं. कर्नल संतोष बाबू उन सैनिकों में से एक हैं जो गालवन घाटी में LAC पर चीनी सैनिकों के साथ हिंसक संघर्ष के दौरान रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हो गए थे.


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पूरे देश को वीर संतोष के पराक्रम पर गर्व


चीन के सैनिकों की उद्दंडता का करारा जवाब देने के लिए पुरा हिंदुस्तान कर्नल संतोष बाबू पर गर्व कर रहा है. उन्होंने बड़ी बहादुरी के साथ चीनी सैनिकों को हिंसक झड़प का जवाब दिया. उनके पराक्रम के आगे 43 चीनी सैनिक ढेर हो गए. वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी सैनिकों के साथ इस हिंसक झड़प में भारतीय सैनिकों के शहीद होने की खबर ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. इसमें भारत की ओर से भी 20 सैनिकों के रणभूमि में वीरगति को प्राप्त होने की खबर है.