नई दिल्लीः कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने रविवार को दावा किया कि लोकसभा की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव को मंजूर किए जाने के बाद पारित हुए सभी विधेयक 'संवैधानिक रूप से संदिग्ध' हैं. तिवारी ने जोर देकर कहा कि कोई भी विधायी कामकाज प्रस्ताव के परिणाम सामने आने के बाद ही होना चाहिए, न कि उससे पहले. 


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10 दिन तक नहीं पेश कर सकते बिलः तिवारी
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद 10 दिन की अवधि का इस्तेमाल विधेयकों को पारित कराने के लिए नहीं किया जा सकता. लोकसभा सदस्य ने यह बात तब कही जब दिल्ली सेवा अध्यादेश के स्थान पर संसद में एक विधेयक पेश किया जाना है. 


'यह नैतिकता औचित्य का पूरी तरह से उल्लंघन'
उन्होंने न्यूज एजेंसी ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि एक बार अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में पेश कर दिया जाए, तो उसके बाद कोई विधेयक अथवा संसद के समक्ष लाया गया कोई भी कामकाज 'नैतिकता, औचित्य और संसदीय परंपराओं का पूरी तरह से उल्लंघन है.' 


'सभी विधेयकों की वैधता की पड़ताल होनी चाहिए'
मनीष तिवारी ने दावा किया कि लोकसभा की ओर से अविश्वास प्रस्ताव को मंजूर किए जाने के बाद राज्यसभा अथवा लोकसभा से पारित सभी विधेयकों की वैधता की पड़ताल कानून द्वारा की जानी चाहिए और यह पता लगाया जाना चाहिए कि ये कानूनी तरीके से पारित किए गए हैं अथवा नहीं.


बता दें कि विपक्षी दलों ने मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया है. वहीं खबरें हैं कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के लिए विपक्ष रणनीति तैयार करने में जुटा है. विपक्ष मणिपुर हिंसा के साथ ही बेरोजगारी, महंगाई, ध्रुवीकरण, दलितों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों पर हमले जैसे मुद्दे भी उठा सकता है.


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