कांग्रेस ने किया पुरस्कार देने का विरोध, अब गीता प्रेस पहुंचकर PM ने की जमकर तारीफ, क्या है राजनीतिक संदेश?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गोरखपुर में गीता प्रेस के दफ्तर जाकर वहां से इस प्रेस की तारीफ करने को बड़े राजनीतिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है. दरअसल गीता प्रेस द्वारा छापी जाने वाली धार्मिक किताबें हिंदु समुदाय से जुड़े लगभग हर व्यक्ति के घर में मिलती हैं. समुदाय के एक बड़े वर्ग में गीता प्रेस की छवि सिर्फ एक प्रेस भर की नहीं है. बल्कि यह उनके लिए धार्मिक जड़ों से जोड़ने वाला प्रेस है.
गोरखपुर. गीता प्रेस को भारत की एकजुटता को सशक्त करने वाला तथा ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना का प्रतिनिधित्व करने वाला बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गीता प्रेस विश्व का ऐसा एकलौता प्रिंटिंग प्रेस है, जो सिर्फ एक संस्था नहीं बल्कि एक जीवंत आस्था है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार का उनका गोरखपुर का दौरा ‘विकास भी-विरासत भी’ की नीति का अद्भुत उदाहरण है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गीता प्रेस के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘गीता प्रेस अलग-अलग भाषाओं में भारत के मूल चिंतन को जन-जन तक पहुंचाती है. गीता प्रेस एक तरह से 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की भावना का प्रतिनिधित्व करती है.’
'संस्था नहीं है बल्कि, एक जीवंत आस्था'
उन्होंने कहा,'गीता प्रेस विश्व का ऐसा इकलौता प्रिंटिंग प्रेस है, जो सिर्फ एक संस्था नहीं है बल्कि, एक जीवंत आस्था है. गीता प्रेस का कार्यालय करोड़ों लोगों के लिए किसी भी मंदिर से जरा भी कम नहीं है.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता प्रेस जैसी संस्था सिर्फ धर्म और कर्म से ही नहीं जुड़ी है, बल्कि इसका एक राष्ट्रीय चरित्र भी है. गीता प्रेस भारत को जोड़ती है, भारत की एकजुटता को सशक्त करती हैं. उन्होंने कहा, ‘इसके नाम में भी गीता है, इसके काम में भी गीता हैं. जहां गीता है वहां साक्षात कृष्ण हैं. जहां कृष्ण हैं वहां करूणा भी है, कर्म भी हैं.'
उन्होंने कहा,'1923 में गीता प्रेस के रूप में यहां जो आध्यात्मिक ज्योति प्रज्वलित हुई, आज उसका प्रकाश पूरी मानवता का मार्गदर्शन कर रहा है. हमारा सौभाग्य है कि हम सभी इस मानवीय मिशन की स्वर्ण शताब्दी के साक्षी बन रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘इस ऐतिहासिक अवसर पर ही हमारी सरकार ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिया है. गांधी जी का गीता प्रेस से आध्यात्मिक जुड़़ाव था. गांधी जी ने सुझाव दिया था कि कल्याण पत्रिका में विज्ञापन न छापे जायें, कल्याण पत्रिका आज भी गांधी जी के उस सुझाव का शत प्रतिशत अनुसरण कर रही है.'
मोदी ने कहा, ‘मुझे यह खुशी है कि आज यह पुरस्कार गीता प्रेस को मिला है. यह देश की ओर से गीता प्रेस का सम्मान है, इसके योगदान का सम्मान है और इसकी सौ वर्षों की विरासत का सम्मान है. इन सौ वर्षों में गीता प्रेस ने करोड़ों-करोड़ किताबें प्रकाशित कर चुकी है.’ उन्होंने कहा, ‘देश के हर कोने में रेलवे स्टेशनों पर हमें गीता प्रेस का स्टाल देखने को मिलता है. पन्द्रह अलग-अलग भाषाओं में यहां से करीब 1600 प्रकाशन होते हैं. गीता प्रेस अलग अलग-भाषाओं में भारत के मूल चिंतन को जन जन तक पहुंचाती है। गीता प्रेस एक तरह से 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की भावना को प्रतिनिधित्व देती हैं.’
पीएम की इस प्रशंसा का क्या है संदेश?
दरअसल हाल ही में गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. यह पुरस्कार देने वाली कमेटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं. पुरस्कार मिलने की घोषणा के साथ ही कांग्रेस की तरफ से इसकी आलोचना भी की गई थी. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देना गोडसे और सावरकर को सम्मान देने जैसा है. इस पर बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि गीता प्रेस की वजह से रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण जैसे ग्रंथ घर-घर पहुंचे इसलिए उसका समर्थन कांग्रेस कैसे कर सकते हैं.
अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गोरखपुर में गीता प्रेस के दफ्तर जाकर वहां से इस प्रेस की तारीफ करने को बड़े राजनीतिक संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है. दरअसल गीता प्रेस द्वारा छापी जाने वाली धार्मिक किताबें हिंदु समुदाय से जुड़े लगभग हर व्यक्ति के घर में मिलती हैं. समुदाय के एक बड़े वर्ग में गीता प्रेस की छवि सिर्फ एक प्रेस भर की नहीं है. बल्कि यह उनके लिए धार्मिक जड़ों से जोड़ने वाला प्रेस है. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के आज के भाषण को बड़े स्तर लोगों में संदेश देने के रूप में भी देखा जा रहा है.
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