क्या है कोरोना की L1, L2, L3 कैटेगरी?
कोरोना संक्रमण का नया स्ट्रेन लोगों के लिए पिछली बार की तुलना में ज्यादा घातक साबित हो रहा है. क्या आप कोरोना की कैटेगरी के बारे में जानते हैं? इस रिपोर्ट में आपको कोरोना की L1, L2, L3 कैटेगरी समझाते हैं.
नई दिल्ली: देश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. संक्रमित लोगों की संख्या में दिन दोगुना और रात चार गुना इजाफा हो रहा है. ऐसे में अब हॉस्पिटल और डॉक्टरों पर भार बढ़ गया है. आपको बता दें कि कोरोना को 3 कैटेगरी में बांटा गया है.
कोरोना की कैटेगरी को जानिए
कैलाश हॉस्पिटल के डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने L1, L2 और L3 के बारे में ज़ी हिन्दुस्तान से खास बातचीत की. उन्होंने इन कैटेगरी के बारे में कई अहम जानकारियां साझा की. आपको इन तीनों कैटेगरी के बारे में तफसील से समझाते हैं.
L1- इस कैटेगरी में वह पेशेंट आते हैं जो कम इनफेक्टेड होते हैं, जिन्हें हल्का बुखार होता है, ऑक्सीजन लेवल ठीक है ब्लड रिपोर्ट्स ठीक है और उनका घर पर इलाज हो सकता है. उनको हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरूरत नहीं होती.
L2- जिनका शुगर कंट्रोल में नहीं है, हार्ट, किडनी के मरीज हैं, कैंसर के मरीज हैं, ऑक्सीजन लेवल कम है और बुखार ज्यादा है ऐसे मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती करने की जरूरत होती है और 24 घंटे डॉक्टर्स की निगरानी में रखना होता है.
L3- इस कैटेगरी में वो मरीज आते हैं, जिनकी हालात ज्यादा खराब होती है. जिनको ICU और वेंटीलेटर की जरूरत है, ऑक्सीजन लेवल कम है, ऑक्सीजन लेवल स्टेबल नहीं है, सांस लेने में दिक्कत आ रही है. ऐसे मरीजों को हॉस्पिटल में एक्स्ट्रा ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है.
किनको हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है?
यहां इस बात को समझना ज्यादा जरूरी है कि किस कैटेगरी में आने वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक नहीं है. दरअसल, वो मरीज जिन्हें हल्का बुखार है, ब्लड रिपोर्ट्स ठीक हैं, ऑक्सीजन लेवल ठीक है ऐसे लोगों का घर पर रह कर ही इलाज जो सकता है.
कोरोना (Corona) का नया रूप कितना जानलेवा है. कोरोना ने फिर से दस्तक दी है और काफी तेजी से पूरे देश में फैल रहा है. लगतार कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में डॉक्टर्स और अस्पताल भी अब फिर से एक बार इनसे जूझ रहे हैं.
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लेकिन इस बार 2020 के अपेक्षा हालात काफी काबू में है, क्योंकि पहले से इलाज के प्रोटोकॉल बने हुए हैं. एक साल से लगतार डॉक्टर्स इस बीमारी से जूझ रहे हैं. जिसकी वजह से इस बीमारी से लड़ने के लिए पूरा प्रोटोकॉल तैयार है जिससे काफी फायदा मिल रहा है और हर कैटेगरी के मरीजों को प्रॉपर इलाज देकर बचाया जा रहा है. जिसकी वजह से इस बार मोर्टेलिटी रेट बेहद कम है.
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