अहमदाबाद: क्राइम ब्रांच ने देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त अहमदाबाद के एक वरिष्ठ नागरिक को गिरफ्तार किया है. 72 साल के बुजुर्ग पर पाकिस्तानी जासूस को आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां देकर सिम कार्ड और व्हाट्सएप ओटीपी के जरिए पाकिस्तानियों की मदद करने का आरोप लगा है.


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कैसे करता था देश के साथ गद्दारी?
आरोपी ने सरकारी वेबसाइट की क्लोन वेबसाइट बनाई, सेना से सेवानिवृत्त और वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी एकत्र करके इसे पाकिस्तान भेजने लगा. ऐसा आरोप लगा है कि इस काम के लिए आरोपी अब्दुल वहाब अहमदाबाद से एक सिम कार्ड खरीदता था.


ऐसी जानकारी सामने आई है कि आरोपी अब्दुल वहाब पठान जब पाकिस्तान का वीजा लेने देश की राजधानी दिल्ली गया था, उस समय पाकिस्तान की खुफिया जानकारी साझा करने वालों के संपर्क में आ गया. पैसे के लिए वो पाकिस्तान का जासूस बन गया. साथ ही अहमदाबाद से कई सिम कार्ड भी पहुंचाया.


पाकिस्तान के खुफिया अधिकारी की मदद
ऐसी जानकारी सामने आई है कि इस जासूस ने जो नंबर पाकिस्तान के खुफिया अधिकारी शफाकत जतोई तक पहुंचाई, वो इसी नंबर से व्हाट्सऐप इस्तेमाल करता था. अब्दुल वहाब सभी सिम कार्ड का ओटीपी शफाकत को देता था, जिसके जरिए वो व्हाट्सएप एक्टिव रखकर पाकिस्तान को सारी जानकारी भेजता था.


गिरफ्तार पाकिस्तानी जासूस अब्दुल वहाब पाकिस्तान का रहने वाला है, लेकिन अपने परिवार के साथ अहमदाबाद के कालूपुर खजूरी मस्जिद गली में 30 साल से रहता था. इससे पहले, वह एक निजी कंपनी में मैनेजर के रूप में काम कर रहा था, लेकिन 2010 में रिटायर हो गया था.


पिछले 4 साल से कर रहा था गद्दारी!
आरोपी पिछले 4 साल से देश विरोधी हरकते कर रहा था. अब तक कई सिम कार्ड के जरिए व्हाट्सएप एक्टिवेट हो चुके हैं, लेकिन उसके पास से करीब 10 सिम कार्ड मिले हैं, जिसकी जांच क्राइम ब्रांच कर रही है.


आरोपी अब्दुल वहाब चार-पांच बार पाकिस्तान जा चुका है. इस तरह अब्दुल वहाब जैसे कई पाकिस्तानी जासूसों की मदद से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी की भारत विरोधी नेटवर्क फैलाने की साजिश का खुलासा हुआ है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने सक्रिय व्हाट्सएप के जरिए भारतीय सुरक्षा बलों की गोपनीय और संवेदनशील जानकारियां हासिल कर ली.


क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया है कि पाकिस्तानी जासूस कंट्री सोल्जर्स बोर्ड और डिपार्टमेंट ऑफ एक्स सर्विसमैन वेलफेयर जैसी फर्जी वेबसाइट बनाते थे और इन सिम कार्ड के जरिए व्हाट्सएप कॉल या मैसेज भेजकर सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को निशाना बनाते थे.


ये जानकारी भी सामने आई है कि अब्दुल वहाब को एक सिम कार्ड के बदले 10 हजार रुपये मिलते थे. फिलहाल क्राइम ब्रांच ने आरोपी को गिरफ्तार कर मामले की जांच शुरू कर दी है.


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