नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री को सज्जन व्यक्ति कह कर शब्दों से मान दिया है जो कि दुश्मन चीन के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया है. इसमें अमेरिका की भारत के प्रति मैत्रीपूर्ण सद्भावना भी दिख रही है और अवसर पड़ने पर सहयोगी की भूमिका का अनकहा आश्वासन भी. भारत ने बुद्धिमानी का परिचय देते हुए भारत-चीन विवाद में मध्यस्थ बनने के अमरीकी राष्ट्रपति के प्रस्ताव को न ठुकराया न ही उसका स्वागत किया और जो जवाब दिया वह निश्चित तौर पर जितना संदेश अमेरिका के लिए है उतना ही चीन के लिए भी है. 


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समकक्ष से कहा बातचीत से सुलझाएंगे विवाद 


दो दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत-चीन सीमा विवाद पर मध्यस्थता करने का प्रस्ताव भारत के सम्मुख रखा था. जाहिर है चीन को अपने कठोर शत्रु अमेरिका की मध्यस्थता कदापि पसंद नहीं आने वाली और भारत ने भी इस प्रस्ताव को स्वीकार न करके आत्मविश्वास और आत्मसम्मान दोनों का ही सामान परिचय दिया है. भारतीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपने अमेरिकी समकक्ष मार्क टी एस्पर को विशवास दिलाया कि इसकी आवश्यकता नहीं पड़ेगी, भारत चीन के साथ बातचीत के माध्यम से ही इस विवाद को सुलझाएगा.


मार्क एस्पर को भारत आमंत्रित किया 


वर्तमान यूनाइटेड स्टेट सेक्रेटरी ऑफ़ डिफेन्स मार्क एस्पर को भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत आने का निमंत्रण दे कर अमेरिका के प्रति अपनी सद्भावना का परिचय दिया. राजनाथ सिंह ने मार्क एस्पर से कहा कि भारत अपेक्षा कर रहा है कि चीन के साथ स्थापित द्विपक्षीय तंत्र के माध्यम से लद्दाख में चीन के साथ चल रहे विवाद को समाप्त करने की दिशा में अवश्य प्रस्ताव आएगा. 


''हम धैर्य के साथ प्रतीक्षा करेंगे''


भारतीय रक्षामंत्री ने अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ़ डिफेन्स से कहा कि हम अपने पड़ौसी देश के साथ पैदा हुए गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में आने वाले प्रस्ताव की  धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करेंगे और हमें विश्वास है कि हम इस मसले को बातचीत के माध्यम से सुलझा लेंगे. 


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