नई दिल्ली: दिल्ली के बिल्डर फ्लैट्स के स्टील पार्किंग एरिया में अवैध कंस्ट्रक्शन कर फ्लैट्स बनाकर बचने के एक मामले में कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. दिल्ली की द्वारका सिविल कोर्ट ने एक बिल्डर रमेश कुमार को बड़ा झटका देते हुए स्टील पार्किंग में चल रहे अवैध कंस्ट्रक्शन व उसे बेचने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है. द्वारका कोर्ट की ASCJ जज रिचा गुसाईं सोलंकी ने मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं और साथ ही बिल्डर से 26 अप्रैल तक जवाब मांगा है.


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कोर्ट के आदेश बाद बायर्स की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील विनीत जिंदल ने कहा कि स्टील एरिया में कंस्ट्रक्शन करना और उनमें फ्लैट्स बनाकर बेचना अवैध है और इसको लेकर निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में इसे वैध नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि अवैध कंस्ट्रक्शन पर अदालतों का स्पष्ट दिशा-निर्देश है और हमने इसी बात को कोर्ट के समक्ष उठाया और कोर्ट ने प्रथम दृष्टया माना कि ये अवैध कंस्ट्रक्शन है, ऐसे में इसपर रोक लगाई जाती है. वकील विनीत जिंदल ने यह भी कहा कि 8 बायर्स की रजिस्ट्री पेपर यह कहती है कि 200 गज की पूरी जमीन में बिल्डर रमेश ने 8 फ्लैट्स बनाए और 8 लोगों को बेच दिए, ऐसे में इस पूरे 200 गज के हिस्से में बिल्डर रमेश का कोई हक नहीं बनता, क्योंकि जब एक बार आप किसी को अपनी प्रॉपर्टी बेच देते हैं तो फिर जबरन आप उस पर अपना हक नहीं जमा सकते.



जानिए क्या है पूरा मामला


आपको बता दें कि उत्तर नगर के मटियाला एक्ट्रेशन के गुरू हरि किशन नगर के गली नम्बर-12 में साल 2012 में रमेश कुमार नाम के एक बिल्डर ने 200 गज में चार मंजिला बिल्डिंग में 8 फ्लैट्स का निर्माण किया था और 8 बायर्स को 8 फ्लैट्स बेच दिए, अब बायर्स का कहना है कि जब बिल्डर रमेश कुमार ने 200 गज में 8 फ्लैट्स बनाकर 8 लोगों को बेच दिया, फिर किस हक से बिल्डर, पार्किंग के एक हिस्से में अवैध कंस्ट्रक्शन कर वहां वन रूम का सेट बनवा रहा है? इसी अवैध कंस्ट्रक्शन के खिलाफ और अपने पार्किंग का पूरा स्पेस लेने के लिए 8 बायर्स ने द्वारका सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.


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