नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि लाइफ पार्टनर पर अवैध संबंध का झूठा आरोप लगाकर उसके साथ न रहना क्रूरता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसा करना दिखाता है कि पति-पत्नी के रिश्तों में भरोसा खत्म हो चुका है. इसके बिना वैवाहिक संबंध बने नहीं रह सकते. 


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यह टिप्पणी करने के साथ ही कोर्ट ने तलाक के एक मामले में परिवार अदालत के फैसले को बरकरार रखा है. दरअसल पत्नी द्वारा ‘घोर मानसिक उत्पीड़न’ के मामले में फैमिली कोर्ट ने तलाक का आदेश दिया था. अब इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा था. 


पीठ ने क्या कहा?
जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा फैसले में कहा गया कि महिला ऐसा कोई सबूत देने में असफल रही जिससे साबित हो कि पुरुष का कभी अवैध संबंध था. कोर्ट ने कहा, ‘जब अवैध संबंध होने का कोई सबूत नहीं हो और लापरवाही से आधारहीन आरोप लगाए जाएं तो यह गंभीर मामला है, यह मानसिक क्रूरता का कारण हो सकता है और तलाक का आधार प्रदान करता है.’ 


पत्नी की अपील को कोर्ट ने किया खारिज
अदालत ने फैमिली कोर्ट द्वारा तलाक की मंजूरी देने के फैसले के खिलाफ महिला की ओर से दाखिल अपील को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के फैसले में सटीक कारण बताए गए हैं और यह ठोस आधार पर है, ऐसे में उसमें हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं है.


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