नई दिल्लीः Delhi Services Bill: केंद्र सरकार आज यानी सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक को चर्चा और पारित करने के लिए पेश करेगी. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 लोकसभा से पहले ही पास हो चुका है. दरअसल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र प्रशासन में 'ग्रुप-ए' अधिकारियों के नियंत्रण को लेकर आप नीत दिल्ली सरकार की केंद्र के साथ तकरार जारी है. मई में केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 जारी किया था.


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लोकसभा से पारित हुआ बिल
बीते गुरुवार को विपक्षी दलों के वाकआउट के बीच करीब चार घंटे की चर्चा के बाद ये विधेयक लोकसभा से पारित हो गया था. चर्चा का जवाब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिया था. उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र शासित प्रदेशों पर कानून बनाने की शक्ति केंद्र सरकार के पास है और दिल्ली के केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते केंद्र को उसके लिए नियम बनाने का भी पूरा अधिकार है. 


आप ने जारी किया व्हिप
आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली सेवा विधेयक राज्यसभा में पेश किए जाने की संभावना के बीच व्हिप जारी कर अपने सभी सांसदों को सोमवार और मंगलवार को संसद के उच्च सदन में मौजूद रहने को कहा है. 


क्या कारगर होगी रणनीति
राज्यसभा में 238 सदस्य हैं. इस बिल पर वोटिंग के दौरान सभी सदस्यों के मौजूद होने की स्थिति में इसे पास कराने के लिए 120 सदस्यों का समर्थन चाहिए होगा. एनडीए के पास 110 सदस्य हैं और तीन निर्दलियों में से एक सदस्य के केंद्र सरकार के साथ होने की बात कही जा रही है. यानी इसे पास कराने के लिए 9 वोट और चाहिए होंगे.


तदस्थ दलों के सदस्यों की भूमिका अहम
ऐसे में 28 राज्यसभा सदस्य एनडीए और विपक्षी गठबंधन से बाहर हैं. इनकी भूमिका अहम हो जाती है. वहीं वाईएसआर कांग्रेस, बीजेडी और तेदेपा इस बिल पर सरकार के समर्थन का संकेत दे चुकी है. ऐसे में सरकार को इस बिल को राज्यसभा में पास कराने में बड़ी दिक्कत आती नहीं दिख रही है.


विपक्ष के पास संख्याबल कम
वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया के पास 97 सदस्यों का समर्थन हैं. तीन में से दो निर्दलियों का समर्थन मिलने पर इनकी संख्या 99 हो जाएगी. यानी ये इस बिल को पास करने से रोकने में नाकाफी हैं. और विपक्ष छह तटस्थ दलों के 28 सदस्यों में बड़ी सेंधमारी करने में सफलता पाते नहीं दिख रहा है. ऐसे में इस बिल को राज्यसभा में रोकना आम आदमी पार्टी और विपक्ष के लिए काफी मुश्किल दिख रहा है.


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