लोकसभा में उठा बिहार जहरीली शराब का मुद्दा, क्यों नहीं हो रहा मृतकों का पोस्टमार्टम?
मंगलवार को लोकसभा में बिहार जहरीली शराब कांड का मुद्दा उठाया गया, जिसकी जांच मानवाधिकार, बाल और महिला आयोगों के संयुक्त दल से कराने की मांग की गई.
नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद सहित पार्टी सदस्यों ने बिहार में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत के मुद्दे को लोकसभा में उठाया और इसकी जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग तथा राष्ट्रीय महिला आयोग के एक उच्चस्तरीय दल से कराने की मांग की.
नहीं कराया जा रहा है पोस्टमार्टम
निचले सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद रविशंकर प्रसाद ने दावा किया कि बिहार में जहरीली शराब पीने से 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन राज्य में इनका पोस्टमार्टम नहीं कराया जा रहा है तथा विसरा संग्रहित नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि यह मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का मामला है, इसलिए मानवाधिकार आयोग को वहां जाना चाहिए. प्रसाद ने कहा, 'मरने वालों में बच्चे हैं, दलित हैं, पिछड़े हैं. यह बहुत ही गंभीर मामला है.' भाजपा सांसद ने कहा कि इस घटना की जांच के लिए बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग के प्रतिनिधियों को भी जाना चाहिए.
'प्रदेश सरकार की नीतियां जिम्मेदार'
सदन में भाजपा सांसद रामकृपाल यादव को प्रसाद की मांग का समर्थन करते देखा गया. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है. शून्यकाल में ही इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा के जनार्दन सिग्रीवाल ने कहा कि राज्य में जहरीली शराब पीने से काफी संख्या में लोगों की मौत हुई है और इसके लिए प्रदेश सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि मरने वालों की सही संख्या सामने नहीं आ पाए, इसके लिये प्रदेश सरकार की ओर से साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग सहित एक उच्च स्तरीय टीम को भेजा जाए और इस मामले की जांच कराई जाए.
NHRC ने कही है मामले की जांच की बात
इससे पहले, जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने शून्यकाल में ही कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत के मामले में जांच करने की बात की है जो संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग है. उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान यह विषय उठाया जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी के कुछ सदस्यों ने उनकी बात का विरोध किया और फिर दोनों के बीच नोकझोंक देखने को मिली.
राजीव रंजन सिंह ने कहा, 'अगर बिहार के मामले की मानवाधिकार आयोग जांच कर रहा है तो कर्नाटक के मामले की जांच क्यों नहीं कर रहा, मोरबी (गुजरात) की पुल दुर्घटना की जांच क्यों नहीं कर रहा?' वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने बिहार में जहरीली शराब पीने के कारण हुई मौतों के मामले में राज्य की नीतीश कुमार नीत सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की और सीबीआई से जांच कराने की मांग केंद्र सरकार से की.
(इनपुट: भाषा)
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