नई दिल्ली. देश में एक बार फिर से काफी बड़ा बैंक घोटाला सामने आया है. अगर कीमत के लिहाज से देखा जाए तो यह देश के इतिहास का सबसे बड़ा बैंक घोटाला भी हो सकता है. इस बैंक घोटाले में 17 बैंकों को करीब 34,615 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया है. 


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किसने किया यह घोटाला


देश के सबसे बड़े बैंक घोटाले के आरोप में दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पूर्व चेयरमैन कपिल वधावन, और डायरेक्टर धीरज वधावन और रियल्टी क्षेत्र की छह कंपनियों पर केस दर्ज किया गया है. इन पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के समूह से 34,615 करोड़ रुपये के फ्रॉड का आरोप लगा है. 


कैसे सामने आया यह घोटाला


यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के आधार पर सीबीआई ने 11 फरवरी को कार्रवाई करना शुरू किया. मामला दर्ज होने के बाद सीबीआई 50 से भी ज्यादा अधिकारियों के साथ आरोपियों के मुंबई स्थित 12 ठिकानों की तलाशी ले रही है. 


यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने आरोप लगाया है कि, डीएचएफएल ने 2010 से 2018 के बीच अलग अलग काम के लिए 17 बैंकों के समूह से 42,871 करोड़ रुपये का लोन लिया था. लेकिन बाद में मी 2019 से ही बैंक का लोन चुकाना बंद कर दिया. 


जिसके बाद बैंक ने कंपनी के खातों को एनपीए यानी गैर निष्पादित संपत्ति घोषित कर दिया. ऋण देने वाले बैंकों ने कंपनी के खातों को अलग-अलग समय पर एनपीए घोषित कर दिया. जनवरी, 2019 में जांच शुरू होने के बाद फरवरी, 2019 में बैंकों की समिति ने केपीएमजी को एक अप्रैल, 2015 से 31 दिसंबर, 2018 तक डीएचएफएल की विशेष समीक्षा ऑडिट करने के लिए नियुक्त किया था.


ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया था कि डीएचएफएल प्रवर्तकों के साथ समानता रखने वाली 66 संस्थाओं को 29,100.33 करोड़ रुपये दिए गए हैं.  इनमें से 29,849 करोड़ रुपये बकाया हैं. बैंक ने आरोप लगाया है कि बैंक से लिए गए पैसे को संस्थाओं और व्यक्तियों भूमि और संपत्तियों में निवेश किया है.


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