नई दिल्ली.  कांग्रेस नेता राहुल गांधी को न केवल राजनीतिक मार्गनिर्देशन की बुरी तरह आवश्यकता है बल्कि सहज-बुद्धि अर्थात कॉमन सेन्स के क्षेत्र में भी उनकी असहायता दयनीय होती जा रही है. एक तरफ देश की सरकार तीन-तीन बड़े मोर्चों पर जूझ रही है और उसे देश के भीतर कोरोना महामारी, देश के आर्थिक आकाश की चुनातिपूर्ण स्थिति और देश की सीमा पर शत्रु चीन का सामना करना पड़ रहा है, तो वहीं राहुल गांधी देश की सरकार के साथ न खड़े हो कर अरण्यरोदन कर रहे हैं और कभी देश की सेना पर सवाल उठाते हैं तो कभी देश की सरकार पर. 


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राहुल ने अपने नाम को किया सार्थक 


देश की सरकार के साथ खड़े हो कर देश हित में योगदान देने की बजाये सरकार के मार्ग पर कांटे बिछा कर राहुल गांधी ने अपने नाम को सार्थक कर दिया है. राहुल का अर्थ है कांटा. आगे बढ़ने से रोकने के लिए पथ पर पड़े कांटे को राहुल कहा जाता है. राहुल को कदाचित अपने नाम के अर्थ का ज्ञान नहीं है. राहुल ने यथा नाम तथा गुण को चरितार्थ करके शेक्सपियर की इस बात को भी गलत साबित कर दिया है कि नाम में क्या रखा है. 


राहुल ने किये पांच सवाल


सारा भारत गलवान सीमा के वीर बलिदानियों के लिए शोक कर रहा है और शत्रु चीन के प्रति आक्रोश व्यक्त कर रहा है. किन्तु देश में एक व्यक्ति ऐसा भी है जिसे न केवल वीरगति को प्राप्त हुए भारतीय जवानों का शोक है, न शत्रु राष्ट्र चीन के प्रति हृदय में कोई आक्रोश है. इसके विपरीत यह व्यक्ति जिसे देश राहुल गांधी के नाम से जानता है, रक्षा मंत्री से कर रहा है पांच सवाल.


ये है राहुल के सवाल 


कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने देश के रक्षामंत्री को प्रश्नों का उत्तर देने की चुनौती देते हुए कहा कि यदि रक्षा मंत्री को देश के जवानों के मारे जाने का इतना ही दुःख है तो मेरे इन प्रश्नों का उत्तर दें  -


1. आपने अपने ट्वीट में आपने चीन का नाम क्यों नहीं लिया और इस तरह भारतीय सेना का अपमान किया? 
2.  आप दो दिनों के बाद सांत्वना क्यों व्यक्त कर रहे हैं?
3. आप रैली को क्यों संबोधित कर रहे थे जब कि दूसरी तरफ देश के जवान मारे जा रहे थे? 
4. आप छिपे क्यों हैं और मीडिया के माध्यम से भारतीय सेना को इस घटना के लिए उत्तरदायी ठहरा रहे हैं?
5. मीडिया के माध्यम से बजाये सरकार के सेना को जिम्मेदार क्यों ठहराया जा रहा है ?


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