नई दिल्ली: कृषि कानूनों (Farm Bills) के मुद्दे पर मोदी सरकार (Modi Government) और किसान संगठनों के बीच संग्राम छिड़ा हुआ है. किसान संगठन हर हालत में कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. दूसरी तरफ केंद्र सरकार कृषि कानून वापस न लेने के मूड में है. कृषि मंत्री (Agricultural Minister) ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि कानून वापस लेने के अलावा किसानों को कोई और राह निकालनी चाहिए.


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कानूनों पर बिंदुवार चर्चा करने को तैयार- कृषि मंत्री



कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को कहा कि किसान कृषि कानून को रद्द करने की मांग को छोड़कर कोई दूसरा विकल्प बताएं. वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर कहा कि सरकार को कृषि कानून वापस लेना ही पड़ेगा.


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निरर्थक है कानून रद्द करने की मांग


कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमने किसान संगठनों को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें हम उनकी मंडी से जुड़ी समस्याओं, व्यापारियों के पंजीकरण और दूसरे मुद्दों पर चर्चा के लिए राजी हो गए थे, सरकार पराली और बिजली से जुड़ी समस्याओं पर भी चर्चा करने को तैयार थी, लेकिन किसान सिर्फ कानून को रद्द कराना चाहते हैं लेकिन ज्यादातर किसान और विशेषज्ञ कृषि कानूनों के पक्ष में हैं. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कानून को लागू नहीं किया जा सकता है, ऐसे में अब कानून को रद्द की मांग निरर्थक है.



53 दिन से जारी है आंदोलन


आपको बता दें कि दिल्ली की सरहद पर कृषि कानूनों के खिलाफ आक्रोशित किसानों का आंदोलन विगत 53 दिन से जारी है. किसानों के इस आंदोलन के नाम पर विपक्षी पार्टियां कई दिनों से राजनीतिक रोटियां सेंक रही हैं. किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि दो महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी सुन नहीं रही है.


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