नई दिल्लीः सरकार और किसानों के बीच शुक्रवार को हुई 11वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा होकर ही खत्म हुई. इस दौरान कृषि मंत्री ने कहा कि कानूनों को होल्ड पर रखने के प्रस्ताव से बेहतर अब सरकार कुछ नहीं कर सकती. अब निर्णय किसानों को ही लेना है. वहीं सरकार की ओर से यह भी कहा कि अब विज्ञान भवन में कानूनों को लेकर कोई बातचीत नहीं होगी.


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दरअसल गुरुवार को दिए गए सबसे बड़े प्रस्ताव के बाद भी कृषि कानूनों का मुद्दा खत्म नहीं हो सका था. कृषि मंत्री ने प्रस्ताव रखा था कि सरकार 1 या दो सालों के लिए कानून को Hold करके रख लेगी, इसके बाद कमेटी बनाकर इस पर चर्चा की जाएगी. 


हालांकि शुक्रवार दोपहर बाद तक किसानों की ओर से वही अड़ियल सुर सुनाई दे रहे थे, जिनमें कहा जा रहा था कि कानून वापसी से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है. शुक्रवार को एक बार फिर सरकार और किसानों की 11वें दौर की बातचीत विज्ञान भवन में हुई थी. 


बैठक में ये हुई बात
दिल्ली के विज्ञान भवन में शुक्रवार को तीन केन्द्रीय मंत्रियों ने किसान समूहों के प्रतिनिधियों के साथ 11वें दौर की बातचीत  हुई. सरकार को उम्मीद थी कि लगातार हो रही बैठकों से कुछ न कुछ समाधान जरूर निकलेगा.  कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय राज्य मंत्री सोम प्रकाश की मौजूदगी में दोपहर 12.55 बजे से मीटिंग शुरू हुई थी.



बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से कहा कि सरकार आपके सहयोग के लिए आभारी है. कानून में कोई कमी नही है. हमने आपके सम्मान में प्रस्ताव दिया था. आप निर्णय नहीं कर सके. आप अगर किसी निर्णय पर पहुंचते हैं तो सूचित करें. इस पर फिर हम चर्चा करेंगे. आगे की कोई तारीख तय नही है. 


  उधर दूसरी ओर किसान दिल्ली की सीमा पर दल-बल के साथ भी अड़े हुए हैं. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर उनकी दिल्ली में ट्रैक्टर रैली की भी जिद है. 


पिछले दिनों हुई बातचीत में नहीं बनी कोई सहमति
वहीं इस बातचीत को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा था कि हमें इससे बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है. उनका कहना है कि सरकार का रवैया थोड़ा और सकारात्मक होगा तो बेहतर हो सकता है. सरकार ने जो प्रस्ताव दिया था उसमें पुराने प्रस्ताव से थोड़ा फर्क था, इसीलिए वह प्रस्ताव हम आमसभा में ले गए थे, चर्चा के बाद उन लोगों ने उसे मानने से इनकार कर दिया.


सरकार को आंदोलन के मूड को समझना चाहिए और उसके अनुसार काम करना चाहिए.  पिछले दिनों लगातार 10 दौर की बातचीत के बीद सरकार और किसानों में कोई सहमति नहीं बन सकी है, इसके बावजूद बातचीत की पहल जारी रहने को दोनों पक्ष अपने लिए सकारात्मक मान रहे हैं. 



उधर किसान ट्रैक्टर रैली के लिए भी अड़े हुए हैं. पहले आई खबरों के मुताबिक किसान इस रैली के लिए भारी तैयारी करके आए हैं. उन्होंने ट्रैक्टरों को मॉडिफाई कराया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस भी अड़ी हुई है कि वह किसानों को सीमा में नहीं प्रवेश करने देगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह ट्रैक्टर रैली पर कोई आदेश नहीं देगें, लेकिन दिल्ली पुलिस इसके लिए जरूरी कदम उठाए. 


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