नई दिल्लीः राजस्थान की गर्म सुलगती रेत महज धूल का कतरा नहीं है, बल्कि यह उन रणबांकुरों की कहानियां हैं जो इसकी जमीन में बिखरी पड़ी हैं. धरती धोरां री कहलाने वाले राजस्थान में 11वीं सदी में हुए वीर तेजाजी, जिन्हें उनकी महानता ने देवताओं जैसा बना दिया. देश भर में उनके कई मंदिर मिल जाएंगे.


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राजस्थान के गांवों-कस्बों में इनकी संख्या काफी है. माना जाता है कि तेजाजी महादेव शिव के ग्यारहवें अवतार थे, यह बात कितनी सही इस आंकलन को परे रख एतिहासिक दस्तावेज इस बात की हामी भरते हैं कि वाकई ग्यारहवीं सदी के लोगों का दौर सुनहरा रहा है क्योंकि उन्होंने तेजाजी महाराज को देखा है. 


अजमेर पहुंचे थे राहुल गांधी
राजस्थान की सूबे वाली सियासत में हर वर्ग का अपना अलग समीकरण है. वहीं भारत की राजनीति में धार्मिक एंगल अपना अलग ही रुख रखता है. राजस्थान और वीर तेजाजी की बात इसलिए क्योंकि शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी राजस्थान में थे. वह अजमेर के सुरसुरा गांव पहुंचे थे और किसान आंदोलन का सुर ऊंचा करने की कोशिश में थे.



इसी सिलसिले में वह वीर तेजाजी के मंदिर भी पहुंचे. वीर तेजाजी के योद्धा होने, रणकुशल होने के साथ-साथ खेती-किसानी से जुड़े होने की कहानियां भी मिलती हैं. दंत कथा में वीर तेजाजी के साथ गाय, सांप, हल-बैल जैसे किरदार भी शामिल हैं. उनके पूर्वज शासक जमींदार भी रहे हैं. 


ऐसे लोक देवता बन गए वीर तेजाजी
दंतकथाओं और मान्यताओं को मानें साथ ही इतिहास भी देखें तो वीर तेजाजी का जन्म विक्रम संवत 1130 माघ शुक्ल चतुर्दशी (गुरुवार 29 जनवरी 1074) के दिन खरनाल में हुआ था. नागौर जिले के खरनाल के प्रमुख कुंवर ताहड़जी उनके पिता थे और राम कंवर उनकी मां.


कहते हैं कि भगवान शिव की उपासना और नागदेवता की कृपा से ही वीर तेजाजी जन्मे थे. जाट घराने में जन्मे तेजाजी को जातिव्यवस्था का विरोधी भी माना जाता है. 


बचपन में हुआ था वीर तेजाजी का विवाह
हुआ यूं कि वीर तेजाजी का विवाह उनके बचपन में ही पनेर गांव गांव की रायमलजी की बेटी पेमल से हो गया. पेमल के मामा इस रिश्ते के खिलाफ था और जलन में तेजा के पिता ताहड़ जी पर हमला कर दिया. ताहड़ जी को बचाव के लिए तलवार चलानी पड़ी जिससे पेमल का मामा मर गया.



यह बात पेमल की मां को बुरी लगी और इस रिश्ते की बात तेजाजी से छिपा ली गई. बहुत बाद में तेजाजी को अपनी पत्नी के बारे में पता चला तो वह अपनी पत्नी को लेने ससुराल गए. वहां ससुराल में उनकी अवज्ञा हो गई.


नाराज तेजाजी लौटने लगे तब पेमल की सहेली लाछा गूजरी के यहां वह अपनी पत्नी से मिले. लेकिन उसी रात मीणा लुटेरे लाछा की गाएं चुरा ले गए. 


ग्राम देवता के रूप में पूजे गए वीर तेजाजी
वीर तेजाजी गाएं छुड़ाने के लिए निकल पड़े. रास्ते में आग में जलता सांप मिला जिसे तेजाजी ने बचाया. लेकिन सांप अपना जोड़ बिछड़ने से दुखी था इसलिए उसने डंसने के लिए फुंफकारा. वीर तेजाजी ने वचन दिया कि पहले मैं लाछा की गाएं छुड़ा लाऊं फिर डंसना. मीणा लुटेरों से युद्ध में तेजाजी गंभीर घायल हो गए.



लेकिन इसके बाद भी वह सांप के बिल के पास पहुंचे. पूरा शरीर घायल होने के कारण तेजाजी ने अपनी जीभ पर डंसवाया और भाद्रपद शुक्ल 10 संवत 1160 (28 अगस्त 1103) को उनका निर्वाण हो गया. यह देख पेमल सती हो गई. इसी के बाद से राजस्थान के लोकरंग में तेजाजी की मान्यता हो गई. गायों की रक्षा के कारण उन्हें ग्राम देवता के रूप में पूजा जाता है. नाग ने भी उन्हें वरदान दिया था. 


राहुल गांधी को क्या होगा हासिल?
गांव-गांव में वीर तेजाजी के देवरे या थान में उनकी तलवारधारी घुड़सवार वाली मूर्ति के साथ नाग देवता की मूर्ति भी होती है. तेजाजी के निर्वाण दिवस भाद्रपद शुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष तेजादशमी के रूप में मनाया जाता है. ये तो थी वीर तेजाजी की कहानी.



राहुल गांधी अजमेर जिले के किशनगढ़ स्थित सुरसुरा पहुंचे तो तेजाजी की पूजा में भी शामिल हुए. यहां उन्होंने उनका इतिहास भी जाना. देखना यह है कि लोक और लोक की मान्यताओं के बीच शामिल होकर राहुल गांधी और कांग्रेस किसान आंदोलन को कितनी और कैसी धार दे पाते हैं. 


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