मिशन साउथ, किसान, जाट-पिछड़ा, पांच भारत रत्न से बीजेपी ने क्या-क्या साध लिया?
सामान्य तौर पर तीन लोगों को भारत रत्न दिए जाने की रवायत रही है लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने इस बार पांच लोगों को यह पुरस्कार दिए हैं. माना जा रहा है कि मोदी सरकार ने इस बार इन पांच `भारत रत्नों` के जरिए कई समीकरण साधने की कोशिश की है जिसमें किसानों से लेकर दक्षिण भारत, पश्चिम यूपी, पिछड़ा वोटबैंक जैसी कई बातें शामिल हैं.
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने देश की तीन और विभूतियों को शुक्रवार को भारत रत्न पुरस्कार से नवाजने की घोषणा की है. ये तीन विभूतियां हैं- पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन. इससे पहले सरकार ने पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और बिहार के मुख्यमंत्री और पिछड़ों के नेता रहे कर्पूरी ठाकुर को देश का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की घोषणा की थी.
सामान्य तौर पर तीन लोगों को भारत रत्न दिए जाने की रवायत रही है लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने इस बार पांच लोगों को यह पुरस्कार दिए हैं. माना जा रहा है कि मोदी सरकार ने इस बार इन पांच 'भारत रत्नों' के जरिए कई समीकरण साधने की कोशिश की है जिसमें किसानों से लेकर दक्षिण भारत, पश्चिम यूपी, पिछड़ा वोटबैंक जैसी कई बातें शामिल हैं.
लालकृष्ण आडवाणी के जरिए दिया कार्यकर्ताओं को संदेश
पहले बात करते हैं लालकृष्ण आडवाणी की. बीजेपी के वयोवृद्ध नेता और पार्टी की नींव रखने वाले आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित कर मोदी सरकार ने कार्यकर्ताओं को संदेश देने की कोशिश की है. एक तरफ अन्य पार्टियों में जहां नेताओं के बीच विवाद की खबरें आती रही हैं वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने संदेश देने की कोशिश की है कि वह अपने वयोवृद्ध नेताओं को सम्मान करती है और देश के लिए उनके योगदान को संपूर्ण रूप में याद रखती है. इसके अलावा राम मंदिर से जुड़ा एक सेंटिमेंट भी इसमें शामिल है. अयोध्या के राम मंदिर में आम लोगों को दर्शन मिलने शुरू हो गए हैं और 22 जनवरी का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम बेहद भव्य रूप में मनाया गया है. आडवाणी उन नेताओं में रहे हैं जिन्होंने राम मंदिर के मुद्दे को देश के जन जन तक पहुंचाया. सोमनाथ से अयोध्या की उनकी रथ यात्रा ने राम मंदिर आंदोलन को ऐसी मजबूती दी थी कि यह मुद्दा देश के कोने-कोने में पहुंच गया था.
साथ ही लाल कृष्ण आडवाणी को एक बेहतरीन वक्ता, स्टेट्समैन और प्रशासक भी माना जाता रहा है. वह देश के गृह मंत्री का पदभार भी संभाल चुके हैं. इसके अलावा बीजेपी को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में उनकी सांगठनिक क्षमता का बड़ा योगदान माना जाता है.
कर्पूरी ठाकुर को सम्मान के जरिए पिछड़ों में पैठ
कर्पूरी ठाकुर की बात करें तो ये ऐसे नेता है जिन्हें अपना बताने को लेकर बिहार के तीनों बड़े राजनीतिक दलों में होड़ रही है. बिहार में पिछड़ा समाज की आवाज बुलंद करने और उनके हित में काम करने के लिए कर्पूरी ठाकुर की विशेष पहचान रही है. इसी क्रम इस साल उनकी जन्मशती कार्यक्रम को विशेष रूप में मनाने का कार्यक्रम सभी पार्टियों ने रखा था. केंद्र ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर बिहार में पिछड़ा वोट बैंक को अपनी तरफ करने की एक बड़ी कवायद की है. बीजेपी सरकार ने पिछड़ा समाज के लिए कर्पूरी ठाकुर के प्रयासों को सम्मान देने की कोशिश कर उस समाज के लोगों के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश की है.
चरण सिंह से साधे रालोद और किसान!
चौधरी चरण सिंह को पुरस्कार देने की घोषणा आज हुई है. चरण सिंह को भारत रत्न देकर सरकार ने एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है. चरण सिंह को पश्चिम यूपी से लेकर हरियाणा के बेल्ट में किसानों के बड़े नेता के रूप में माना जाता है. और एक बड़ा समुदाय उनके प्रति आदर सम्मान रखता है. इसके अलावा पश्चिम यूपी में राष्ट्रीय लोकदल के साथ बीजेपी के गठबंधन की चर्चा हैं. चरण सिंह के पोते जयंत सिंह के हाथों में इस वक्त राष्ट्रीय लोकदल की कमान है. जयंत ने भारत रत्न दिए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 'दिल जीतने' की बात लिखी है. इसे सांकेतिक रूप में इस स्वरूप में भी देखा जा रहा है कि जयंत बीजेपी के साथ हाथ मिला सकते हैं.
नरसिम्हा राव और मिशन साउथ!
पीवी नरसिम्हा राव की बात करें तो बीजेपी के इस बार मिशन साउथ बेहद अहम है. उत्तर और पश्चिम भारत के राज्यों में जबरदस्त जीतों के बावजूद बीजेपी अभी तक दक्षिण भारत में कर्नाटक में ही अपनी सरकार बना सकी है. लेकिन कर्नाटक से सटा तेलंगाना ऐसा राज्य है जहां से बीजेपी को काफी उम्मीदें हैं. पहले तेलंगाना और आंध्र प्रदेश संयुक्त राज्य थे. पीवी नरसिम्हा राव इस राज्य से ताल्लुक रखते थे. ऐसे में बीजेपी ने राव को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देकर दो राज्यों को साधने की कोशिश की है.
कृषि वैज्ञानिक के जरिए किसानों को साधा
कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को सम्मान देकर बीजेपी ने किसानों को अपने साथ करने की कोशिश की है. 2019 से 2024 तक के अपने शासनकाल के बीच नए कृषि कानूनों को लेकर बीजेपी किसानों का एक बड़ा विरोध प्रदर्शन देखा है. इस विरोध प्रदर्शन की वजह से केंद्र सरकार को अपने कानूनों को वापस तक लेना पड़ा था. ऐसे में भारत में हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर बीजेपी ने किसानों में पैठ मजबूत करने की कोशिश की है.
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