नई दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को बताया कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में इस साल अप्रैल से 28 मई के बीच 645 बच्चों ने अपने अभिभावकों को खोया है. मतलब सरकार की रिपोर्ट में ये कहा गया है कि दूसरी लहर में करीब साढ़े छह सौ बच्चे अनाथ हुए.


645 बच्चों के माता-पिता छीन लिए


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महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उनके द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2021 से 28 मई 2021 के बीच 645 बच्चों ने अपने अभिभावकों को खोया है. आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक 158 बच्चे उत्तर प्रदेश में अनाथ हुए हैं. इसके बाद आंध्रप्रदेश में 119 बच्चे, महाराष्ट्र में 83 बच्चे और मध्यप्रदेश 73 बच्चे अनाथ हुए हैं.


स्मृति ने लिखित जवाब में बताया कि मंत्रालय ने, और शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से संयुक्त रूप से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि कोविड महामारी के दौरान अपने अभिभावकों को खोने वाले बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो और उन्हें स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के दायरे में लाया जाए.


अगले 5 साल तक पूरी होंगी जरूरतें


उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कोविड महामारी के दौरान अपने माता, पिता या दोनो अभिभावकों, अपने कानूनी संरक्षक या गोद लेने वाले अभिभावकों को खो चुके बच्चों की मदद करने के लिए एक योजना की घोषणा की है.


केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 'इसके तहत ऐसे बच्चे की शिक्षा और स्वास्थ्य की देखभाल के लिए मदद की जाएगी और उनके 18 साल के होने पर उनके लिए 10 लाख रुपये की व्यवस्था की जाएगी. इस राशि का उपयोग (18 साल की उम्र के बाद) अगले पांच साल तक उन्हें उच्च शिक्षा के दौरान उनकी जरूरतें पूरी करने के लिए मासिक वित्तीय मदद या वजीफे के तौर पर देने में किया जाएगा. 23 साल की उम्र होने पर वह निजी या पेशेवर उपयोग के लिए यह राशि ले सकेंगे.'


दुनिया भर के 15 लाख बच्चे हुए अनाथ


भारत के 1,19,000 बच्चों सहित दुनिया भर में 15 लाख से ज्यादा बच्चों ने कोविड के कारण कम से कम एक माता-पिता, कस्टोडियल दादा-दादी या दादा-दादी को खो दिया है. इसकी जानकारी द लांसेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार साझा की गई थी.


अध्ययन का अनुमान है कि उनमें से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की महामारी के पहले 14 महीनों के दौरान एक या दोनों माता-पिता की मौत हो गई और अन्य 5 लाख बच्चों ने अपने ही घर में रहने वाले दादा-दादी की मौत देखी है.


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