नई दिल्लीः एक सरकारी अध्यादेश के मुताबिक एयर इंडिया को बेचने की कवायद फिर से शुरू हो गई है. कर्ज से जूझ रही विमानन कंपनी के लिए बोली मंगाई है. एयर इंडिया पर 80 हजार करोड़ रुपये का बकाया है.  17 मार्च तक एयर इंडिया के लिए बोली लगाई जा सकती है. सरकार ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए हाल के दिनों में कई फैसले लिए हैं. घरेलू बाजार में एयर इंडिया का 12.7 फीसदी हिस्सा है. 2019 में 18.36 मिलियन पैसेंजर्स ने एयर इंडिया से उड़ान भरी थी.



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क्वालिफायर को 31 मार्च तक दी जाएगी जानकारी
गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने एक मंत्री समूह ने 7 जनवरी को इस सरकारी विमानन कंपनी के निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. सरकार ने एयर इंडिया में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है. बिडिंग प्रक्रिया में जो क्वॉलीफाई करेंगे, उन्हें 31 मार्च तक इसकी जानकारी दे दी जाएगी. एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 फीसदी शेयर सरकार के पास ही हैं.


इससे पहले 2018 में एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव केंद्र सरकार लेकर आई थी, लेकिन इस डील के लिए कोई तैयार नहीं हुआ. ऐसे मे सरकार ने 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है.


हालांकि लोहानी ने दिया था यह बयान
कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक अश्विनी लोहानी ने कहा था कि एयर इंडिया के बंद होने की खबरें आधारहीन हैं. उन्होंने कहा था कि एयर इंडिया पहले की ही तरह उड़ान भरती रहेगी और भविष्य में विस्तार भी करेगी. लोहानी ने भरोसा जताया कि यात्रियों, कॉर्पोरेट्स और एजेंटों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. राष्ट्रीय विमानन कंपनी अभी भी देश की सबसे बड़ी कंपनी है. 



2018-19 में एयर इंडिया को बड़ा घाटा
वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया को 8,556 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था. अभी कंपनी पर 80,000 करोड़ रुपये का बकाया है. इसके अलावा उसका घाटा भी हजारों करोड़ रुपये का है. इससे पहले अक्टूबर में सैलरी और प्रमोशन को लेकर नाराज एयर इंडिया के 100 से ज्यादा पायलटों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद विमानन कंपनी के बंद होने की अफवाहें सामने आई थीं, जिसे प्रबंध निदेशक अश्विनी लोहानी ने खारिज किया था.