नई दिल्ली: भारत सरकार ने हाल ही में गेंहू की बढ़ती कीमतों को देखते हुए इसके निर्यात पर रोक लगाने के बाद अब बाजार में आटा, मैदा और सूजी की बढ़ती कीमतों को कंट्रोल करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. केंद्र सरकार ने इसे लेकर नया अपडेट जारी किया है. अब आटा, मैदा और सूजी के निर्यात के लिए निर्यातकों को एक्सपोर्ट इंसपेक्शन काउंसिल से क्वालिटी सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता होगी. 


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अब इन चीजों के निर्यात के लिए करना होगा ये काम


विदेश व्यापार महानिदेशालय ने जुलाई माह में एक नोटिफिकेशन के जरिए यह जानकारी साझा की थी कि अब गेहूं, आटे, मैदा और सूजी के निर्यात के लिए व्यापारियों को इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी से मंजूरी लेनी पड़ेगी. इसके साथ ही यह जानकारी भी दी गई थी कि गेहूं के आटे के निर्यात की नीति फ्री बनी रहेगी, लेकिन इसके लिए इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी से मंजूरी अवश्य लेनी पड़ेगी. 


डीजीएफटी ने हाल ही में एक नया नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि अब इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी से गेहूं के अलावा होलमील आटा, रिजल्टेंट आटा, मैदा और रवा के निर्यात के लिए भी मंजूरी लेनी होगी.इंटर-मिनिस्ट्रियल कमिटी से मंजूरी के बाद आटा, मैदा और सूजी जैसे उत्पादों की  क्वालिटी को लेकर एक्पोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल से क्वालिटी सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता होगी. 


सरकार का बढ़ती कीमतें कंट्रोल करने का प्रयास


देश में गेहूं के निर्यात पर रोक के बाद इससे बने उत्पादों जैसे आटे, मैदा और सूजी जैसे उत्पादों के निर्यात में देखी जा रही थी.  इसके कारण बाजार में इन चीजों की उपलब्धता पर भी बड़ा असर देखने को मिल सकता था. जल्द ही इनकी कीमतों में भी भारी बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती थी. कई कंपनियों ने हाल ही में आटे की कीमत में इजाफा भी किया था. इसे ध्यान में रखते हुए ही आटा, मैदा और सूजी के निर्यात को लेकर नियमों में बदलाव किया है. 


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