नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास के इलाके NCR में बाढ़ का खतरा एक बार फिर मंडराने लगा है. दरअसल हथिनी कुंड बैराज से आज सुबह अलग-अलग वक्त में करीब 2 लाख क्यूसेक लीटर पानी छोड़ा गया है. अब इतनी मात्रा में पानी छोड़ने का असर दिल्ली-एनसीआर में अगले 24 से 28 घंटे में दिख सकता है.


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बता दें दिल्ली एनसीआर में बीते कुछ दिनों से बारिश नहीं हो रही है. साथ ही मौसम पूरी तरह साफ है. इस वजह से यमुना के जलस्तर में कुछ गिरावट भी आई है. माना जा रहा था कि अगले कुछ दिनों में दिल्ली एनसीआर में और ज्यादा राहत मिल सकती है. दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर शनिवार को खतरे के निशान से नीचे आ गया जो पिछले कुछ दिनों से खतरे के निशान 205.33 मीटर के आसपास बना हुआ था. हालांकि, उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में ताजा भारी बारिश की सूचना मिली है और इससे नदी के जल स्तर में फिर से वृद्धि हो सकती है.


पुनर्वास के प्रयासों में हो सकती है देरी
जलस्तर बढ़ने से दिल्ली के बाढ़ प्रभावित निचले इलाकों में पुनर्वास प्रयासों में और देरी हो सकती है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने 25 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी से अत्याधिक भारी बारिश की आशंका जताई है. केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार सुबह नौ बजे जलस्तर गिरकर 205.29 मीटर पर आ गया जो शुक्रवार शाम छह बजे 205.34 मीटर पर था. अन्य राज्यों में ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश का प्रभाव स्पष्ट होने से पूर्व इसमें और गिरावट आ सकती है.


शहर की पानी आपूर्ति पर भी हो सकता है असर
ऊपरी जलग्रहण राज्यों, मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश के बीच पिछले चार से पांच दिनों में जल स्तर में मामूली उतार-चढ़ाव हुआ है. दिल्ली के ऊपरी हिस्सों में भारी बारिश होने की स्थिति में, जल स्तर में वृद्धि से राजधानी के बाढ़ग्रस्त निचले इलाकों में प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की गति धीमी हो सकती है और उन्हें लंबे समय तक राहत शिविरों में रहना पड़ सकता है. इसका असर शहर में पानी की आपूर्ति पर भी पड़ सकता है जिसमें स्थिति मंगलवार को ही सामान्य हो पाई.


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