कांग्रेस अपनी सियासी जमीन यूपी में खो चुकी है. उधर समाजवादी पार्टी भी हाशिए पर जा चुकी है. ऐसे में खुद को दोबारा स्थापित करने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए हाथरस को मुद्दा बनाया गया. इंसाफ की आवाज तक तो सब ठीक था, लेकिन उसके पीछे की जो मंशा सामने आई है. उसने यूपी सरकार के होश उड़ा दिए हैं. हाथरस की आड़ में एक बड़ी हिंसा की तैयारी की गई. जातीय हिंसा की चिंगारी हाथरस से भड़काकर, पूरे यूपी को दंगों में जलाने का षडयंत्र रचा गया था.


हाथरस के बहाने यूपी में हिंसा की साजिश


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हाथरस में नफरत की चिंगारी भड़काई जा रही थी. जिससे पूरे उत्तर प्रदेश को सुलगाने की तैयारी थी. हाथरस में पीड़िता को इंसाफ के बहाने, बर्बादी का ऐसा दौर लाना था. जिसमें 22 करोड़ की आबादी स्वाह हो जाती. हाथरस में जो कुछ हो रहा था. उस साजिश का अगर पर्दाफाश ना हुआ होता, तो कितनी बड़ी तबाही हो सकती थी.


23 फरवरी को जो दिल्ली में हुआ, वैसा ही हाथरस में करने की तैयारी थी. 
11 अगस्त को जो बेंगलुरू में हुआ, उसी तरह हाथरस में आग लगाने की तैयारी थी


दंगों की यादों से दिल में खौफ पैदा हो जाता है, लेकिन दंगाईयों के जहन में इंसानियत नहीं बसती. बल्कि साजिशों का ऐसा चक्रव्यूह रचा जाता है. जिसमें मानवीय संवेदनाओं को हथियार बनाकर सबकुछ बर्बाद कर दिया जाए. खुद सोचिए, जिस हाथरस का नाम तक शायद राहुल गांधी, प्रियंका नहीं जानते होंगे. वो 16 दिन बाद सियासत और हंगामे का सबसे बड़ा सेंटर कैसे बन गया. अगर यूपी सरकार की माने तो ये सबकुछ प्लान्ड था और ऐसा यकायक नहीं हुआ. बल्कि इसकी तैयारी की गई.


'कट्टरपंथी गैंग' का दंगा भड़काऊ प्लान


दिल्ली और बेंगलुरू में जो दंगा हुआ. उसे मजहबी रंग दिया गया. हाथरस में भी साजिश ऐसे ही रची गई. बस यहां दलित बनाम सवर्ण का रंग देकर जातीय हिंसा का खूनी खेल रचा गया था.


25 मई को मिनेसोटा से नस्लीय हिंसा शुरु हुई और फिर पूरा अमेरिका उसी चपेट में आ गया था. कुछ इसी तरह की साजिश यूपी के लिए भी रची गई. जिसमें जातीय हिंसा में उत्तर प्रदेश में आग लगाने का पूरा खाका खींचा गया था. एकदम BLACK LIVES MATTER की तरह..


जैसे मिनेसेटा से हिंसा भड़की थी. वैसे ही हाथरस से भड़कती और फिर यूपी सुलग जाता, हो सकता है. देश के दूसरे हिस्सों में भी दंगे भड़क जाते. क्योंकि सोशल साइट के जरिए हिंसा की प्लानिंग की गई.


सोशल मीडिया+सियासत=नफरत का एजेंडा


'जस्टिस फॉर हाथरस' नाम से वेबसाइट बनाई गई थी, बल्कि उसमें भड़काऊ कंटेंट डालकर लोगों में गलतफहमी भी फैलाई जा रही थी. हाथरस के नाम पूरे देश को जातीय हिंसा में झोंकने के लिए विदेशों से पैसे भी आए थे. साथ ही ये भी निर्देश मिल रहे थे. कहां-कहां और किस समय पर, किसे  निशाना बनाया जाना है. यूपी पुलिस के सूत्रों के मुताबिक हाथरस मामले की आड़ लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल योगी सरकार से बदला लेने की फिराक में थी. जिसने हाल ही में भारत से अपना कामकाज समेटा है. यानी एमनेस्टी इंटरनेशनल के तार हाथरस से जुड़े हैं. क्योंकि सरकार ने विदेशी फंडिंग में हेराफेरी को लेकर एमनेस्टी केबैंक खाते फ्रीज कर दिए थे. उधर पीएफआई का कनेक्शन भी फंडिंग में मिल रहा है. जिसके जरिए हाथरस में हिंसा फैलाने के लिए इस्लामिक देशों से मिला पैसा इस्तेमाल किए जाने की जांच में यूपी पुलिस जुटी हुई है.


देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप, जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा... नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें-


Android Link - https://play.google.com/store/apps/details?id=com.zeenews.hindustan&hl=en_IN


iOS (Apple) Link - https://apps.apple.com/mm/app/zee-hindustan/id1527717234