किस राज्य में सामने आए सबसे ज्यादा राजद्रोह के मामले, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने जारी किया आंकड़ा
साल 2021 के दौरान देश में घटने वाले राजद्रोह के मामलों में कमी आई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो अलग अलग राज्यों में घटने वाले राजद्रोह के मामलों का आंकड़ा भी जारी किया गया है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा देश भर में आने वाले कुल राजद्रोह के मामलों के आंकड़े जारी किए गए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 के दौरान देश में घटने वाले राजद्रोह के मामलों में कमी आई है. इसके अलावा राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो अलग अलग राज्यों में घटने वाले राजद्रोह के मामलों का आंकड़ा भी जारी किया गया है. जिसमें यह बताया गया है कि साल 2021 के दौरान किन राज्यों में राजद्रोह के कितने मामले दर्ज किए गए हैं.
इस राज्य में आए सबसे ज्यादा राजद्रोह के मामले
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते साल यानी 2021 के दौरान आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा राजद्रोह के मामले दर्ज किए गए थे. साल 2021 के दौरान आंध्र प्रदेश में 29 राजद्रोह के मामले सामने आए थे. जबकि, साल 2020 के दौरान आंध्र प्रदेश में राजद्रोह का एक भी केस दर्ज नहीं किया गया था.
2021 में इन राज्यों से आए राजद्रोह के मामले
साल 2021 में आंध्र प्रदेश, नागालैंड, हरियाणा और असम ऐसे राज्य रहे जहां से राजद्रोह के ज्यादा मामले सामने आए. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़े यह बताते हैं कि साल 2021 के दौरान राजद्रोह के कुल 69 मामले सामने आए थे. वहीं साल 2020 में राजद्रोह के कुल 66 मामले सामने आए थे.
दूसरे राज्यों में सामने आए इतने मामले
साल 2021 में आंध्र प्रदेश के बाद राजद्रोह के मामले नागालैंड और मणिपुर में दर्ज किए गए. नागालैंड और मणिपुर में राजद्रोह के 7 मामले दर्ज किए गए. वहीं हरियाणा से 5 राजद्रोह के मामले सामने आए. जबकि, असम और उत्तर प्रदेश से कुल 3 राजद्रोह के मामले सामने आए.
क्या है राजद्रोह मामला
भारतीय दंड संहिता की धारा 124A में राजद्रोह कानून के बारे में बताया गया है. यह कानून राजद्रोह को एक ऐसे अपराध के रूप में परिभाषित करता है जिसमें ‘किसी व्यक्ति द्वारा भारत में कानूनी तौर पर स्थापित सरकार के प्रति मौखिक, लिखित (शब्दों द्वारा), संकेतों या दृश्य रूप में घृणा या अवमानना या उत्तेजना पैदा करने का प्रयत्न किया जाता है. राजद्रोह एक गैर-जमानती अपराध है. राजद्रोह के अपराध में तीन वर्ष से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और इसके साथ ज़ुर्माना भी लगाया जा सकता है.
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