कश्मीर के हालात पर अमित शाह ने खुद संभाली कमान, जानिए बैठक में क्या बना प्लान
कश्मीर के हालात पर गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हाईलेवल मीटिंग हुई. सूत्रों से खबर है कि घाटी में अर्द्ध सैनिक बल की 400 कंपनियों की तैनाती पर फैसला हुआ.
नई दिल्ली: कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाओं में इजाफा हो रहा है. 1990 की तरह हिंदुओं के पलायन का खतरा मंडरा रहा है इसलिए केंद्र सरकार एक्टिव हो गई है. खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कमान संभाल ली है, कश्मीर के सुरक्षा हालात पर विचार के लिए शुक्रवार को गृह मंत्रालय में हाई लेवल मीटिंग हुई. जिसमें आतंकवाद से निबटने की मजबूत रणनीति बनाई गई.
अमित शाह और अजित डोवल ने संभाली कमान
सीमापार से आतंकी साजिश और कश्मीर में आतंकी घटनाओं में इजाफे के बाद केंद्रीय मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने कमान संभाल ली है. आतंकियों के नापाक मंसूबों को नाकामयाब बनाने के लिए फूलप्रूफ रणनीति तैयार हो रही है.
जम्मू-कश्मीर टारगेट किलिंग की बढ़ती वारदातों के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय में हाई लेवल मीटिंग हुई. गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह समेत अर्द्धसैनिक बलों, खुफिया एजेंसियों, पुलिस और नागरिक प्रशासन के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए.
हाई लेवल बैठक में क्या-क्या हुआ? जानिए
सूत्रों के मुताबिक बैठक में टारगेट किलिंग की घटनाओं को माहौल बिगाड़ने की साजिश बताया गया. बैठक में टारगेट किलिंग पर जल्द लगाम लगाने की रणनीति पर विचार हुआ. हिंदू सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षित जगहों पर पोस्टिंग का फैसला हुआ. सूत्रों के अनुसार सभी को जम्मू में पोस्टिंग नहीं दी जाएगी.
जो कश्मीर में काम कर रहे हैं, उनको वहीं सुरक्षित जगहों पर भेजा जाएगा. अगर कर्मचारियों को कश्मीर से जम्मू में पोस्टिंग दी गई, तो इससे आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के ही मंसूबे पूरे होंगे. यानी घाटी से सबको बाहर करने का आतंकवादियों का मकसद कामयाब हो जाएगा, जैसा 1990 में हुआ था.
करीब 2 घंटे तक कश्नीर के सुरक्षा हालात पर विचार करने के बाद अगले दौर की बैठक शुरू हुई. इस बैठक में विकास योजनाओं की प्रगति और अमरनाथ यात्रा की तैयारियों पर विचार हुआ.
बैठक में 370 हटने के बाद प्रदेश में माहौल बेहतर होने का दावा किया गया. जम्मू कश्मीर में बढ़ रहीं पर्यटन की गतिविधियां सरकार के इस दावे की तस्दीक करती हैं.
दरअसल, इस साल जनवरी से मई तक करीब 10 लाख पर्यटक जम्मू कश्मीर पहुंचे. अमरनाथ यात्रा के लिए 1 जून तक करीब 2.5 लाख यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन कराया. उम्मीद है कि इस साल 8 लाख यात्री अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कराएंगे. करीब 30 साल बाद कश्मीर में फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. 15 से 20 जून तक श्रीनगर में कश्मीर फिल्म फेस्टिवल आयोजित होगा.
दरअसल कश्मीर में एक के बाद एक टारगेट किलिंग की घटनाओं ने वहां रह रहे हिंदुओं में दहशत पैदा कर दी है. गुरुवार सुबह कुलगाम में बैंक मैनेजर की हत्या के बाद शाम को बडगाम में दो मजदूरों को गोली मारी गई. इनमें से एक की मौत हो गई थी.
इस बीच कश्मीरी पंडितों का एक बार फिर पलायन शुरू हो गया है और 1990 का दौर फिर से लौटने की आशंका है. इसीलिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कमान संभाल ली है ताकि वक्त रहते हालात को नियंत्रित किया जा सके.
आतंकी वारदातों पर लगाम लगाने की तैयारियां
होम मिनिस्ट्री अपनी तरफ से आतंकी वारदातों पर लगाम लगाने की तैयारियां कर रही हैं. लेकिन, आपको ये भी समझना चाहिए कि धारा 370 हटाने के बाद से ही आतंकी वारदातें क्यों बढ़ गई हैं.
दरअसल, 2011 की जनगणना के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में मुस्लिम समुदाय की आबादी 68.31 प्रतिशत है. जबकि हिंदुओं की आबादी 28.44 प्रतिशत. इसके बाद नंबर आता है सिख समुदाय का, जिसकी आबादी 1.87 प्रतिशत है. ग़ौर करने वाली बात ये कि हिंदुओं और सिखों की ज्यादातर आबादी जम्मू में रहती है. लेकिन, इसके बावजूद पाकिस्तान समर्थित आतंकी इनपर हमलों को अंजाम देते हैं. तो इसकी वजह से कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ.
एक रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू में ही कश्मीरी पंडितों के 43 हज़ार 618 परिवार रह रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर में 19 हज़ार 338 परिवार कश्मीर से पलायन कर रह रहे हैं. और देश के दूसरे हिस्सों में कश्मीरी पंडितों के 1995 परिवार अपना घर बार छोड़कर रहने को मजबूर हैं.
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