आनंदपाल की कहानी: पढ़ाई में होशियार... बनना चाहता था टीचर, फिर कैसे बन गया गैंगस्टर?
Anandpal Singh Story: जोधपुर के एक कोर्ट ने कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का एनकाउंटर करने वाले पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. आनंदपाल का एनकाउंटर जून 2017 में हुआ था.
नई दिल्ली: Anandpal Singh Story: राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल को मरे हुए 7 साल हो गए, लेकिन हर कुछ महीनों में उसका जिक्र आ ही जाता है. अब जोधपुर के CBI कोर्ट ने आनंदपाल के एनकाउंटर में शामिल पुलिस अधुकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने की बात कही है. अदालत ने CBI की क्लोजर रिपोर्ट भी स्वीकार नहीं की. उस पर सवाल उठाते हुए उसे खारिज कर दिया. बहरहाल, इसी बीच आनंदपाल सिंह की कहानी एक बार फिर लोगों की जुबान पर आ गई है. आइए, जानते हैं कि जो लड़का टीचर बनना चाहता था, वह गैंगस्टर कैसे बन गया?
टीचर बनाना चाहते थे पिता, B.Ed भी की
आनंदपाल राजस्थान के नागौर जिले के लाडनूं तहसील के एक छोटे से गांव सांवराद का रहने वाला था. वह बचपन से ही पढ़ाई में होशियार था. उसके पिता चाहते थे कि वह टीचर बने. यही कारण है कि उसने B.Ed की, ताकि टीचर का एग्जाम दे सके. इस दौरान वह गांव के लोगों की कागज-पत्रों में मदद करने लगा. किसी का कोई सरकारी कागज आता तो आनंदपाल उसे पढ़ देता, समझा देता और उसका जवाब दे देता. इसके जरिये वह लोगों से जुड़ने लगा. फिर आनंदपाल ने टीचर बनने की राह छोड़ 1997 में लाड़नूं में एक सीमेंट एजेंसी डाली. इसके लिए उनसे परिवार से 10 लाख रुपए लिए, लेकिन ये लंबे समय तक नहीं चल पाई. उसे घाटा हुआ और उसने ये एजेंसी बंद कर दी.
प्रधान और BDO को पीट दिया
आनंदपाल की लाइफ का टर्निंग पॉइंट गांव के पंचायत चुनाव थे. चूंकि, वह लोगों की मदद करता था, तो उन्होंने उसे साल 2000 में पंचायत समिति चुनाव में खड़ा कर दिया. वह चुनाव जीत भी गया. लेकिन बाद में आनंदपाल प्रधान का चुनाव हार गया. उसे कांग्रेस नेता हरजी राम बुरड़क के बेटे जगनाथ बुरड़क ने दो वोटों से चुनाव हराया. आनंदपाल को ये बात नागवार गुजरी. इस चुनाव के दौरान BDO की एक राजपूत महिला से झड़प हुई. ये बात आनंपाल को पसंद नहीं आई और उसने वहीं पर बीडीओ और प्रधान की पिटाई कर दी. इसी दौरान प्रधान का दोस्त खेराज जाट की आनंदपाल से दुश्मनी हो जाती है.
अपराध जगत का बड़ा नाम
साल 2001 में आनंदपाल ने खेराज जाट पर चाकू से हमला किया. ये आनंदपाल के हाथों से हुआ पहला मर्डर था. हत्या के तुरतं बाद आनंदपाल पड़ोसी राज्य हरियाणा भाग गया. यहां पर उसने 3 साल तक फरारी काटी. यहीं पर उसने बदमाशों से संपर्क बैठाया. इसके बाद आनंदपाल सिंह अपराध के जगत का बड़ा नाम बनता गया. उस पर हत्या, लूट, डकैती, गैंगवार और हत्या के प्रयास समेत करीब 24 से ज्यादा मामले दर्ज थे. उसने अपनी गैंग बना ली थी. आनंदपाल ने अपने दोस्त जीवनराम जीवनराम गोदारा की भी हत्या कर दी थी. आनंदपाल ने कई नेताओं की हत्या की सुपारी भी ली थी. उसने अरुण जेटली के भतीजे को मारने की सुपार भी ली.
आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ
पुलिस ने आनंदपाल सिंह पर 5 लाख रुपये का इनाम भी रखा दिया था. इस बीच वह पुलिस की हिरासत से भी फरार हो चुका था. नागौर से लेकर शेखावाटी तक आनंदपाल का खौफ था. आखिरकार 24 जून, 2017 को शेखावाटी के चूरू के मालासर गांव में आनंदपाल का एनकाउंटर कर दिया था. हालांकि, आनंदपाल के परिवार का कहना है कि वह सरेंडर करने वाला था, फिर भी जानबूझकर उसे मारा गया.
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