नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि चीन के मसले पर भारत को धैर्यवान लेकिन दृढ़ रहने की जरूरत है. उन्होंने चीन को 'बहुत चुनौतीपूर्ण' और 'प्रतिस्पर्धी पड़ोसी' बताया है. उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि 2020 के बाद संबंध बहुत अधिक जटिल हो गए हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि संबंध 'समय के साथ मजबूत हो रहा है.'


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जयशंकर ने कहा-हमें आज यह स्वीकार करना होगा कि हमारे पास एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण, प्रतिस्पर्धी पड़ोसी है. इतिहास में हमारे गंभीर मसले रहे हैं. कई मसलों का समाधान नहीं हुआ है, कुछ और बिगड़ गए हैं. सीमा मुद्दों के अलावा, दोनों देशों के बीच आर्थिक मुद्दे भी हैं. चीन के साथ निपटते समय 'आपके पास एक ऐसी अर्थव्यवस्था होनी चाहिए जो इसके लिए तैयार हो.'


2020 के बाद जटिल हुए संबंध
विदेश मंत्री ने कहा-2020 के बाद से, संबंध बहुत अधिक जटिल हो गए हैं. इसे स्वीकार करता हूं लेकिन यह समय के साथ मजबूत हो रहा है. हम इसके बारे में खुद के प्रति भी ईमानदार नहीं थे. वास्तव में हम इसे लेकर स्पष्ट नहीं थे, और साफ-साफ कहें तो उसी के अनुसार रणनीति बना रहे थे.


चीन के साथ सैन्य वार्ता के कई दौर
बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में सैनिकों की झड़प के बाद, दोनों देशों में कई दौर की सैन्य वार्ता हुई है. इसमें शांति बहाल करने के आधार के रूप में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों को पीछे हटाने की मांग की गई है. जयशंकर ने कहा कि सैन्य चर्चा में फोकस दोनों देशों के सैनिकों को पीछे हटाने और उसके बाद तनाव कम करने पर रहा है.


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