`पवित्र` हरम को मुगलों ने बनाया था अय्याशी का अड्डा, हर दिन टूटती थी नैतिकता की सीमा
महिलाओं को सिर्फ राजा का दिल जीतना होता था. वो किसी और के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना सकती थीं. इसी वजह से हरम की कई महिलाओं के संबंध वहां के अधिकारियों से भी हो जाते थे. हरम में बादशाह अपने गुप्तचर रखते थे और किसी भी तरह के विद्रोह को दबाने के लिए पूरी जानकारी अपने पास रखते थे.
नई दिल्ली. भारत में मुगल दरबार से जुड़ी हरम की कहानियों के कारण इस शब्द के नकारात्मक अर्थ निकाले जाने लगे. बीते कुछ वर्षों में यह चर्चा और भी ज्यादा बढ़ी है. विभिन्न प्रचलित और ऐतिहासिक कहानियों में मुगल हरम के वैभव से लेकर उसके स्याह पक्ष पर भी बहुत कुछ कहा-सुना जाता है. लेकिन हरम शब्द के मूल अर्थ में जाएं तो यह एक 'पवित्र' स्थान माना जाता था जिसमें सामान्य तौर पर परिवार से जुड़ी महिलाएं रहती थीं. यह घर का वो हिस्सा था जिसे बाहरी लोगों की निगाह से अलग रखा था और जहां घर की महिलाएं सम्मान के साथ रह सकती थीं.
मूल रूप से अरबी शब्द है हरम
हरम शब्द मूल रूप से अरबी है जिसका मतलब होता है एक ऐसा पवित्र स्थान जहां कोई बाहरी न जा सके. इस्लाम की जानकार मिस्र मूल की अमेरिकी लेखक लीला अहमद का कहना है कि पुरुषों ने हरम की अवधारणा रखी जिससे वो अपने घरों की महिलाओं को दूसरों की नजरों से दूर रख सकें. हालांकि यह भी कहा जाता है कि हरम का विचार पश्चिमी एशिया के देशों में इस्लाम की उत्पत्ति के पहले से चला आ रहा है.
महिलाएं अपनी मुश्किलों पर चर्चा नहीं कर सकती थीं
खैर अब हम आते हैं मुगल हरम पर जिसकी चर्चा देश में सबसे ज्यादा होती है. इसमें महिलाओं की संख्या, उनकी स्थिति और बादशाहों के व्यवहार को लेकर इतिहासकारों के बीच कई मत हैं. अकबर के अलावा भी कई मुगल शासकों के हरम की कहानियां मशहूर हैं. इनमें अकबर के बेटे जहांगीर का नाम सबसे प्रमुख है. कहते हैं कि जहांगीर के हरम में दुखों पर चर्चा के लिए कोई जगह नहीं होती थी. यानी हरम में रह रही महिलाएं अपनी मुश्किलों पर चर्चा नहीं कर सकतीं. मुख्य विचार यह था कि इस जगह पर सिर्फ सुख और आनंद की चर्चा की जाए.
बीमार होने पर अकेले ही रहना होता था
हरम में रहने वाली महिलाएं अपनी बीमारियों और किसी की मौत पर चर्चा नहीं कर सकतीं. अगर इनमें से कोई बीमार होता था तो उन्हें तब तक 'बीमारखाने' में शिफ्ट कर दिया जाता था जब तक वह स्वस्थ न हो जाए. बीमारखाने में भले ही इन महिलाओं का इलाज किया जाता हो लेकिन उन्हें अकेले ही रहना पड़ता था. विशेषरूप से उम्रदराज महिलाओं को. वो बीमारखाने में अपनी मौत का इंतजार कर रही होती थीं और उनका कोई हाल-चाल तक नहीं लेता था. सिर्फ बीमारखाने में जाने वाली दास लड़कियां ही इन महिलाओं का सहारा होती थीं.
अधिकारियों से भी हो जाते थे महिलाओं के संबंध
महिलाओं को सिर्फ राजा का दिल जीतना होता था. वो किसी और के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना सकती थीं. इसी वजह से हरम की कई महिलाओं के संबंध वहां के अधिकारियों से भी हो जाते थे. हरम में बादशाह अपने गुप्तचर रखते थे और किसी भी तरह के विद्रोह को दबाने के लिए पूरी जानकारी अपने पास रखते थे.
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