भारत को अगले 6 साल में कितनी नौकरियों की है जरूरत, IMF की गीता गोपीनाथ ने बताया
भारत की औसत वृद्धि दर 2010 से शुरू होने वाले दशक से करीब 6.6 फीसदी रही है, लेकिन रोजगार के मोर्चे पर भारत की दर 2 फीसदी से कम रही है. ऐसे में भारत को आने वाले वर्षों में काफी सारी नौकरियां पैदा करनी होंगी. ऐसा कहना है, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रथम उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ का.
नई दिल्लीः रोजगार के मामले में भारत पिछड़ा हुआ है, ऐसा कहना है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रथम उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ का. उन्होंने शनिवार को कहा कि भारत रोजगार सृजन के मामले में जी-20 देशों में पिछड़ा हुआ है. साथ ही उन्होंने बताया कि 2030 तक भारत को कितनी नौकरियों की जरूरत होगी.
14.8 करोड़ अतिरिक्त नौकरियों की जरूरत
उन्होंने कहा कि जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए देश को 2030 तक 14.8 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा करने की जरूरत है. उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के हीरक जयंती कार्यक्रम में कहा कि 2010 से शुरू होने वाले दशक में भारत की औसत वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रही, लेकिन रोजगार दर 2 प्रतिशत से कम रही.
गोपीनाथ ने कहा कि इसलिए भारत की रोजगार दर, अन्य जी-20 देशों की तुलना में काफी कम है.
'बहुत सारी नौकरियां करनी होंगी पैदा'
उन्होंने कहा, 'यदि आप जनसंख्या वृद्धि के लिहाज से भारत के अनुमानों को देखें तो भारत को अब से लेकर 2030 तक कुल मिलाकर छह करोड़ से 14.8 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा करनी होंगी. हम पहले से ही 2024 में हैं, इसलिए हमें कम समय में बहुत सारी नौकरियां पैदा करनी होंगी.'
'निजी निवेश में बढ़ोतरी की जरूरत'
इसके लिए भूमि सुधार और श्रम संहिताओं को लागू करने सहित बुनियादी सुधारों की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि अधिक नौकरियां पैदा करने के लिए निजी निवेश में वृद्धि की जरूरत है, क्योंकि यह सकल घरेलू उत्पाद में सात प्रतिशत वृद्धि के अनुरूप नहीं है.
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक निवेश अच्छा चल रहा है, लेकिन निजी निवेश में सुधार करना होगा. गोपीनाथ ने यह भी कहा कि भारत को अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करना चाहिए, ताकि वह अपने कार्यबल का कौशल विकास कर सके.
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