नई दिल्ली: भारत और ब्रिटेन ने एक-दूसरे की उच्च शैक्षणिक डिग्री को मान्यता देने के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इससे दोनों देशों के हजारों युवाओं को फायदा मिलने की उम्मीद है. यह कदम द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की उनकी 10 वर्षीय रूपरेखा का एक हिस्सा है.


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ब्रिटेन-भारत वृहद व्यापार साझेदारी (ईटीपी) का हिस्सा


ब्रिटेन सरकार ने बृहस्पतिवार को इसकी घोषणा की. उसने एक बयान में कहा, 'यह समझौता प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गत वर्ष की गई ब्रिटेन-भारत वृहद व्यापार साझेदारी (ईटीपी) का हिस्सा है. इस समझौता ज्ञापन का मतलब है कि ए-स्तर और उनके समान, स्नातक और परास्नातक सभी डिग्री को अब भारत में भी मान्यता दी जाएगी.'


बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में काम करने और प्रशिक्षण लेने की इच्छुक भारतीय नर्स और नर्सिंग सहायकों को अवसर प्रदान करने के लिए एक कार्य बल गठित करने की ईटीपी की प्रतिबद्धताओं के क्रियान्वयन के समझौते ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए.


यहां समझिए इससे युवाओं को कैसे मिलेगा फायदा?


ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार विभाग ने कहा कि उच्च शिक्षा पर समझौते ज्ञापन से ब्रिटिश विश्वविद्यालयों से स्नातक करने वाले भारतीय छात्र अपने देश लौटने के बाद परास्नातक में दाखिले के लिए आवेदन दे सकेंगे या उन सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन दे सकेंगे, जिसमें स्नातक की डिग्री मांगी जाती है.


ब्रिटेन और भारत पहले ही एक-दूसरे के छात्रों के लिए पढ़ाई की पसंदीदा जगह है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 में ब्रिटेन में 84,555 भारतीय छात्रों ने दाखिला लिया था. बयान में कहा गया है कि इस समझौते से ब्रिटिश नागरिकों के भारत जाकर पढ़ाई करने की संभावना बढ़ गयी है.


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