नई दिल्ली: माइनस 40 डिग्री के तापमान पर जब सैनिक इन इलाकों में मुश्किल से मुश्किल हालात का सामना कर रहे होंगे तब मोदी का ये ब्रह्मास्त्र दुश्मन पर कहर बनकर टूटेगा. गलवान से अक्साई चिन तक पहाड़ों में चोरी- चोरी जो बंकर और ठिकाने चीन ने बनाए है उन्हें मोदी का महाबली हथियार न सिर्फ खोज निकालेगा बल्कि उनका विनाश भी करेगा.


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हिन्दुस्तान की फौज को मिलेगा हारोप ड्रोन


नार्गोनो काराबाख पर कब्जे की लड़ाई अब तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ गई है.पाकिस्तान और तुर्की ने अजरबैजान के साथ जेहादी फौजों को भी युद्ध के मैदान में उतार दिया है. सीरिया से सैकड़ों खूनी जेहादी लड़ाके नार्गोनो काराबाख पहुंच चुके है. तुर्की के राष्ट्रपति एर्गोआन खुलकर अजरबैजान का साथ दे रहे हैं, जबकि भारत का पड़ोसी पाकिस्तान जो पहले से आतंकिस्तान के नाम से बदनाम भी इस युद्ध में कूद पड़ा है. इमरान खान ने पाकिस्तान के आतंकवादियों को नार्गोनो काराबाख में उतार दिया है.


पहाड़ों की लड़ाई में ब्रह्मास्त्र साबित होगा हारोप


इसके आरोप आर्मीनिया की सरकार ने लगाया है. दरअसल इमरान खान मुसलमानों का मसीहा बनने के लिए आतंकियों की फौज भेजकर मुस्लिम देशों को खुश करना चाहते हैं, लेकिन जेहादी वॉर का मनसूबा इतना आसानी से सफल नहीं होने वाला क्योंकि रूस नार्गोनो काराबाख की लड़ाई पर पैनी नजर बनाए हुए है. अगर हालाता बेकाबू हुए और नागरिक ठिकानों पर जेहादी फौजों के हमले बढ़े तो फिर पुतिन की सेना को खुलकर मैदान में आना पड़ेगा जिसका मुकाबला करना एर्गोआन और इमरान के लिए मुश्किल होगा. खबर है कि रूस के राष्ट्रपति ने आर्मीनिया की सरकार से कई दफे की बातचीत की है.


अबतक की लड़ाई में क्यों भारी अजरबैजान?


अब तक इस जंग में मुस्लिम बाहुल्य देश अजरबैजान इसाई बाहुल्य आर्मीनिया पर भारी पड़ रहा है.  हालांकि नुकसान दोनों देशों को हुआ है लेकिन ज्यादा मार आर्मीनिया पर पड़ी है. आर्मीनिया में रूस का सैन्य ठिकाना भी है हालांकि अभीतक अजरबैजान ने आर्मीनिया के एक सैन्य ठिकाने को तबाह करने का दावा किया है....लेकिन रूसी सैन्य ठिकाने से ये काफी दूर है. इसीलिए जैसे जैसे जंग का ताप बढ़ रहा है रूस की भूमिका भी बढ़ती जा रही है. आर्मीनिया के पास ज्यादातर रूस के दिए हथियार हैं जिन्हें अजरबैजान और तुर्की पाकिस्तानी की जेहादी ब्रिगेड काफी नुकसान पहुंचा चुकी है. दरअसल अजरबैजान के पास इस युद्ध में एक ऐसा हथियार है जो आर्मीनिया पर भारी पड़ रहा है.


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अजरबैजान ने इस हथियार को इजरायल से खरीदा है. ये एक टोही ड्रोन है जो दुश्मन के ठिकानों की टोह लेने के बाद चोरी छिपे उन पर हमला करता है और तबाह कर देता है. युद्ध का ये महाबली जल्द हिंदुस्तान की फौज को भी मिलने वाला है.  अजरबैजान को मिले इजरायली ड्रोन को हापोर नाम दिया गया है. आर्मीनिया को सबसे ज्यादा नुकसान इजरायल के इसी हापोर ड्रोन ने पहुंचाया है.


 गलवान से अक्साई चिन तक 'हारोप' करेगा हल्लाबोल


लद्दाख इलाके में साजिश रचने वाले इमरान खान और चालबाजी करने वाले जिनपिंग जरा गौर से सुन लो....अब मोदी का महाबली पहाड़ों की जंग के लिए मैदान में आने वाला है.  सर्दियों के बर्फीले मौसम में माइनस 40 डिग्री पर अब इमरान और जिनपिंग की हर चाल का जवाब भारत देने वाला है. अब दुनिया के भूमाफिया चीन और उसके आतंकी दोस्त पाकिस्तान को करारा जवाब मिलने वाला है. हिन्द की सेना को मिलने वाला है किलर ड्रोन हारोप सकी ताकत विश्वयुद्ध के गेटवे माने जाने वाले अजरबैजान और आर्मीनिया के युद्ध में देखी जा सकती है. 


'आतंकी' इमरान की बत्ती होगी गुल!


भारत 15 हारोप ड्रोन इजरायल से खरीदने वाला है. इसकी RFI यानी रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन भारत ने जारी कर दिया है. चीन और पाकिस्तान सियाचिन और एलएसी पर जिस तरह की साजिश रच रहे हैं उससे निपटने में हारोप ड्रोन बेहद कारगर हैं. इससे पहाड़ी जंगी क्षेत्र में हिन्दुस्तान की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. भारत की स्पेशल फोर्सेस पहले से इन ड्रोन का इस्तेमाल करती हैं . एनएसजी के पास भी हारोप ड्रोन हैं लेकिन सेना के लिए पहली बार भारत इनकी खरीदारी करेगा. इजरायल के इस ड्रोन को हारोप कामीकेज ड्रोन के नाम से भी जाना जाता है. इसे हीरो-120 ड्रोन भी कहा जाता है. इसकी मारक क्षमता को देखते हुए किलर ड्रोन भी कहा जाता है.


 हारोप ड्रोन क्यों माना जाता है युद्ध क्षेत्र का ब्रह्मास्त्र


हारोप ड्रोन 6 घंटे तक उड़ान भर सकता है. बेस स्टेशन से 1000 किमी. की दूरी तक इसे ऑपरेट किया जा सकता है. मानव रहित इस ड्रोन को समंदर या जमीन पर दुश्मन की टोह लेने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें लगा एंटी रडार होमिंग सिस्टम दुश्मन के रडार को भी जाम कर सकता है. भारत को इजरायल जिस हारोप ड्रोन को देने वाला है उसकी अनेक खासियतें हैं लेकिन सबसे बड़ी खासियत ये है कि हारोप ड्रोन सुसाइड बॉम्बर की तरह भी काम करता है. 


जब गलवान से सियाचिन तक रणक्षेत्र में उतरेगा मोदी का 'महाबली'


दुश्मन की टोह लेने के बाद हारोप ड्रोन उससे भिड़ जाता है और अगर दुश्मन वॉर करने की कोशिश करता है तो ये ड्रोन वहीं धमाके के साथ फट जाता है और दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाता है. इसकी एक और खासियत वॉरफेयर में इसे विशिष्ठ बनाती है अगर इसे दुश्मन का टारगेट नहीं मिलता तो ये सुरक्षित अपने बेस पर लौट आता है या फिर बेस से इसे दूसरे टारगेट पर भेजा जा सकता है. 


लद्दाख में दादागीरी दिखाने वाले जिनपिंग के कान खड़े हो गए हैं जबसे चीनी दुश्मन ने हारोप ड्रोन की खरीद के बारे में सुना है. जानकार मानते हैं कि अब वॉरफेयर में परंपरागत हथियारों का नहीं बल्कि मानव रहित ड्रोन का दौर आने वाला है. इससे सेना को नुकसान से बचाया जा सकेगा साथ में दुश्मन के खेमे में खलबली भी मचाई जा सकेगी.


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