क्या अपने `युवराजों` को नहीं संभाल पा रही है कांग्रेस
राहुल गांधी कांग्रेस के युवराज कहे जाते हैं. युवा नेता की परिभाषा उनके ही इर्द-गिर्द बुनी गई है. ऐसे में उनकी एक अलग टीम है जिसे कांग्रेस की यूथ ब्रिगेड कहा गया. शहनवाज हुसैन ने मध्य प्रदेश में मचे सियासी घमासान पर निशाना साधते हुए कहा था कि `कांग्रेस अपने घर को नहीं संभाल पा रही है. पार्टी के युवा नेताओं का कांग्रेस में अपमान हो रहा है. कई मामलों से यह बात पुख्ता हो जाती है.
नई दिल्लीः कांग्रेस इस वक्त झटका झेल रही है और मध्य प्रदेश में बनी-बनाई सरकार के सामने संकट है. युवा कहे जाने वाले और बड़े नेताओं में शुमार ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में जा चुके हैं. कहा कि मैं कांग्रेस में जनता की सेवा नहीं कर पा रहा था. यह कांग्रेस पहले वाली कांग्रेस नहीं रही है.
उनके इस्तीफा देने के कुछ देर बाद ही उनकी नेम प्लेट हटाए जाने की तस्वीर सामने आई थी. इसके बाद सभी की निगाहें कांग्रेस के युवा नेताओं की तरफ टिक रही हैं. इन युवा नेताओं के सुर या तो बगावती रहे हैं या ऐसा कह लें कि कांग्रेस अपने युवा तुर्कों को संभाल नहीं पा रही है.
भाजपा नेता शहनवाज हुसैन की बात सुनिए
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देने का स्वागत किया है. उन्होंने कई कांग्रेस विधायकों के भी इस्तीफा देने पर कहा कि कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है, और कमलनाथ को अब सत्ता छोड़ देनी चाहिए.
शहनवाज हुसैन ने मध्य प्रदेश में मचे सियासी घमासान पर निशाना साधते हुए कहा था कि "कांग्रेस अपने घर को नहीं संभाल पा रही है. पार्टी के युवा नेताओं का कांग्रेस में अपमान हो रहा है. उन्हें कांग्रेस में कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. उन्होंने इशारे में सचिन पायलट का भी जिक्र किया.
तो क्या वाकई कांग्रेस युवा जोश को नहीं संभाल पा रही है
राहुल गांधी कांग्रेस के युवराज कहे जाते हैं. युवा नेता की परिभाषा उनके ही इर्द-गिर्द बुनी गई है. ऐसे में उनकी एक अलग टीम है जिसे कांग्रेस की यूथ ब्रिगेड कहा गया. इस टीम में ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा सचिन पायलट बड़ा नाम हैं. फिर आते हैं संजय निरूपम, अशोक तंवर, जितिन प्रसाद आते हैं.
सभी का रुख और रवैया यह बताता है कि कांग्रेस में उनका ख्याल नहीं रखा जाता, उनकी नहीं सुनी गई. वक्त-वक्त पर ऐसे कई आपसी बवाल सामने आते रहे जो बाद में चुनी हुई सरकार के लिए भी परेशानी बने. इन पर डालते हैं एक नजर
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सचिन पायलटः राजस्थान में गहलोत से जूझते दिखते हैं
शहनवाज ने अपनी बात कहते हुए जो इशारा किया, सचिन पायलट पर सही और सटीक दिखता है. पायलट डिप्टी सीएम हैं और ज्योतिरादित्य के जाते ही सबकी निगाहें उनकी ओर टिक गई हैं. राज्य की राजनीति पर पैनी पकड़ रखने वाले एक विश्लेषक कहते हैं, 'राजस्थान में कांग्रेस संगठन और सरकार के बीच लंबे समय से बन नहीं रही है.
मुख्यमंत्री बनने की मंशा तो सचिन पायलट की है ही. अभी भी प्रदेश अध्यक्ष का पद उन्हीं के पास है. पायलट और गहलोत के बीच असंतोष भी काफी है. पांच साल मेहनत के बावजूद पायलट को कुर्सी नहीं मिली. इसका कुछ मलाल तो है. ऐसे में राजस्थान में उथल-पुथल हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं.
संजय निरुपमः काफी दिनों से हैं बागी तेवर
युवा भी और अनुभवी भी. कुछ ऐसा है, संजय निरुपम का कलेवर. वह पिछले काफी समय से बागी तेवर लिए बैठे हैं. खासकर जब महाराष्ट्र में चुनाव हो रहे थे, संजय फुल मूड में बगावत की तैयारी कर रहे थे. उम्मीदवारों को लेकर उनकी लाई गई लिस्ट को नकार दिया गया था. इसे उन्हें दुख पहुंचा तो यहां तक कह दिया कि वह कांग्रेस के प्रचार अभियान में शामिल नहीं होंगे.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि उन्हें लगातार किनारे करने की कोशिश की जा रही है. अब लगता है कि पार्टी को अलविदा कहने का समय आ गया. हालांकि उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया, लेकिन यह सामने है कि कांग्रेस ने इस युवा नेता का सम्मान नहीं रखा है.
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अशोक तंवरः हरियाणा चुनाव से ठीक पहले छोड़ी कांग्रेस
अशोक तंवर हरियाणा में कांग्रेस का प्रमुख चेहरा थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस पर उपेक्षा का आरोप लगाया. अपने त्यागपत्र में तंवर ने कहा था कि पार्टी का मौजूदा संकट राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की वजह से नहीं बल्कि गंभीर आंतरिक विरोधाभास से है. परिश्रमी कांग्रेस कार्यकर्ता जो किसी बड़े राजनीतिक घराने से नहीं आते और जिनके पास पैसा नहीं है, उनका पार्टी में कोई महत्व नहीं है.
तंवर ने कहा कि ब्लैकमेलिंग और गलत तरीके से अर्जित किए पैसे के बल पर कुछ लोग कांग्रेस के आंतरिक लोकतंत्र को ध्वस्त कर चुके हैं. मैं अकेले ऐसा नहीं हूं जो इन लोगों के शिकार हुए हैं. तंवर की बातों से साफ था कि उन्हें महत्व नहीं दिया गया.
जितिन प्रसादः 370 का समर्थन किया था
बगावत के लिए जरूरी नहीं खिलाफत की जाए, पार्टी लाइन के विरुद्ध विरोधी पार्टी की नीति की प्रशंसा भी खुला बगावत ही है. यही किया जितिन प्रसाद नेय कांग्रेस के इस युवा नेता ने कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में भाजपा सरकार के फैसले का समर्थन किया था. उन्होंने सोनिया और राहुल के सामने कहा कि देश का माहौल इस मुद्दे पर भाजपा के साथ है.
ऐसे में इसका विरोध कर हम माहौल के खिलाफ हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि मैं यूपी से आता हूं और वहां यही माहौल है. इससे साफ था कि कांग्रेस इस युवा नेता तक ही अपना स्टैंड क्लियर नहीं कर पाई, देश के सामने कैसे रखती.