नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने अप्रैल के प्रथम सप्ताह में आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए देश में जजों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की पैरवी की थी. सीजेआई एन वी रमन्ना ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के लिए 65 वर्ष की सेवानिवृत्ति की आयु बेहद कम है और वह अपनी सेवानिवृत्ति के बाद सार्वजनिक जीवन में सक्रिय बने रहेंगे.


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लंबे समय से ज्यूडिशरी में जजों की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश के अलग अलग हाईकोर्ट के जज इसकी पैरवी करते रहे है. देशभर के कानूनिविदों के बीच भी इस बिंदू को लेकर सकारात्मक पक्ष देखा जाता रहा हैं. अधिकांश कानूनविद मानते हैं कि सेवा​निवृति आयु बढ़ाने पर आने वाले समय में जजों की कमी से जूझ रहे देशभर के हाईकोर्ट में एक बड़ा बदलाव आ सकता है.


क्या सरकार करने वाली है ये बड़ा फैसला?


केन्द्र  सरकार क्या इस मामले में अब अहम फैसला लेने की तैयारी कर रही हैं. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार सुप्रीम कोर्ट के साथ देश के सभी हाईकोर्ट जजों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने को लेकर विचार कर रही हैं. गौरतलब है कि कई अवसरों पर सरकार के अलग अलग हिस्सों से ये आवाज भी उठती रही है.


सुप्रीम कोर्ट में जजों की सेवानिवृत्ति आयु फिलहाल 65 वर्ष है, वहीं देशभर के हाईकोर्ट में जजों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष है, सरकार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में इस आयु को फिलहाल दो साल के लिए बढ़ा सकती है. सरकार की ओर से अभी तक ऐसा कोई अधिकारिक संकेत नहीं दिया गया है. लेकिन देशभर की ज्यूडिशरी के साथ साथ सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों के बीच इस कदम की चर्चा बढ़ी है.


करनी होगी नए सीजेआई के नाम की अनुशंसा


सीजेआई एन वी रमन्ना इसी वर्ष 26 अगस्त को सेवानिवृत होने जा रहे हैं. सीजेआई रमन्ना सेवानिवृत्ति के दिन तक 16 माह और 2 दिन देश के सीजेआई रह चुके होंगे. वहीं वरिष्ठता क्रम में उनके बाद आने वाले जस्टिस यू यू ललित 8 नवंबर 2022 को सेवानिवृत्ति होने जा रहे हैं, सीजेआई रमन्ना की सेवानिवृत्ति से करीब एक माह पूर्व ही कॉलेजियम को नए सीजेआई के नाम की अनुशंसा करनी होगी, संभवतः कॉलेजियम जस्टिस यू यू ललित के नाम की ही सिफारिश करेगा. जस्टिस ललित सीजेआई बनते है तो उनका कार्यकाल मात्र 74 दिन का ही रहेगा.


केन्द्र सरकार अगर देश के जजों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाती है, तो कई कानूनविदों के अनुसार ये इसी साल हो सकता है, सीजेआई एन वी रमन्ना के सेवानिवृत्ति होने के बाद सरकार इसे लागू कर सकती है. इससे ना केवल सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान जजों की संख्या बरकरार रहेगी, जजों के पदों के रिक्त होने से प्रभावित होने वाली केसों की सुनवाई भी नियंत्रित हो सकेगी.


इससे नालसा के जरिए देशभर में विधिक सेवा को अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचाने वाले जस्टिस यू यू ललित से लेकर जस्टिस चन्द्रचूड़ सहित अन्य सुप्रीम कोर्ट जजों के कार्यकाल में दो वर्ष की बढ़ोतरी हो सकती हैं. वहीं देश के कई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी अपने पद पर दो वर्ष के लिए बढ़ सकते हैं.


पूर्व सीजेआई बोबड़े और एजी भी कर चुके हैं उम्र बढ़ाने की पैरवी


गौरतलब है की पूर्व सीजेआई जस्टिस एसए बोबड़े भी इस तरह से जजों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की वकालत कर चुके हैं. नवंबर 2019 में  सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा उनके सम्मान में आयोजित समारोह में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि वकील 70-80 की वर्ष की उम्र में अदालतों में बहस कर रहे हैं.


ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति आयु 70 और हाईकोर्ट के जजों की उम्र 68 वर्ष तक की जानी चाहिए. जिस पर पूर्व सीजेआई ने कहा था कि अगर ऐसा होता है तो जज ज्यादा लंबे समय तक काम करने को तैयार हैं.


पूर्व सीजेआई गोगोई ने पीएम को लिखा था पत्र


पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने इस मामले में एक कदम ओर आगे बढ़ाते हुए हाईकोर्ट जजों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र तक लिखा था. जून 2019 में लिखे इस पत्र में पूर्व सीजेआई ने देश के हाईकोर्ट में जजों की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ा कर 65 वर्ष करने का अनुरोध किया था.


पूर्व सीजेआई गोगोई ने प्रधानमंत्री को लिखे एक दूसरे पत्र में एक संविधान संशोधन विधेयक लाने पर विचार करने तक को कहा था, ताकि हाईकोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ा कर 62 से 65 साल की जा सके. पूर्व सीजेआई ने संविधान के अनुच्छेद 128 और 224 ए के तहत सावधिक नियुक्ति करने का भी अनुरोध किया था, जिससे वर्षों से लंबित पड़े मुकदमों का निपटारा किया जा सके.


संसदीय समिति भी कर चुकी है सिफारिश


पिछले साल मार्च 2021 में भी संसदीय मामलों की एक समिति ने देश के सभी हाईकोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष की बजाय 65 साल करने की सिफारिश की थी. सेवानिवृत्ति की आयु सीमा बढ़ाए जाने की सिफारिश करने वाली स्थायी समिति का मानना था कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति की आयु एकसमान होनी चाहिए. जो कि 65 वर्ष है.


समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि जब सुप्रीम कोर्ट के जज 65 वर्ष की आयु तक काम कर सकते हैं तो हाईकोर्ट के जजों को 62 वर्ष में ही सेवानिवृत्त करने का कोई तार्किक कारण नहीं दिखाई देता. यही कारण था कि समिति ने न्याय विभाग से सिफारिश की थी कि हाईकोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी जानी चाहिए.


कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय संबंधी संसदीय स्थायी समिति के सदस्यों का मानना था कि हाईकोर्ट में जजों के बड़ी संख्या में रिक्त पड़े पदों को ध्यान में रखकर सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने पर विचार करने की अत्यधिक आवश्यक्ता है. समिति ने पाया कि देश के विभिन्न हाईकोर्ट में 39 फीसदी जजों के पद खाली थे.


ये जरूर है कि समिति की इस सिफारिश के बाद देश के अलग अलग हाईकोर्ट में करीब 100 से अधिक जजों की नियुक्ति हो चुकी है. जजों के रिक्त पद और सभी हाईकोर्ट में भारी संख्या में लंबित मामलों पर गौर करने के बाद समिति के सदस्यों का मानना था कि जजों के कार्य दिवस को बढ़ाकर विभिन्न स्तरों पर लंबित मुकदमों की कतार से निपटा जा सकता है.


देश के हाईकोर्ट में है 400 पद रिक्त


कानून मंत्रालय के अनुसार 1 जून तक देश के 25 हाईकोर्ट में स्वीकृत जजों के कुल 1108 पदों पर 708 जज कार्यरत थे. वहीं 400 जजों के पद रिक्त हैं. फिलहाल 80 से अधिक पदों पर नियुक्ति के लिए जजों के नाम पाइपलाइन में हैं दूसरी ओर वर्ष 2022 के शेष बचे 6 माह में ही 40 से अधिक जज सेवानिवृत भी होंगे. अगर सरकार आगामी कुछ माह में सविधान संशोधन के जरिए सेवानिवृत्ति आयु बढ़ा देती है तब ये स्थिती बिल्कुल बदल सकती हैं.


हाईकोर्ट में सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने से किया था इंकार


ये अलग बात है कि इस मामले में केन्द्र सरकार ने मार्च 2021 में हाईकोर्ट जजों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने से इंकार किया था. 25 मार्च 2021 को तत्कालिन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में स्पष्ट किया था कि हाई कोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने को लेकर फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है.


कानून के जानकार मानते हैं फिलहाल परिस्थितियां बदली हैं और कई मामलों में सरकार के रुख में बदलाव आया है. रविशंकर प्रसाद की जगह भी अब लॉ मिनिस्टर के रूप में किरन रिजीजू ने कई नए बदलाव किये हैं. ऐसे में संभव में है कि सरकार अब सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट जजों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने पर विचार करे.


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